बुद्धि के प्रमुख सिद्धांत

बुद्धि के प्रमुख सिद्धांत

मनोवैज्ञानिक चिन्तन के वर्तमान युग में विद्वानों ने बुद्धि सम्बन्धी अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। ये विभिन्न सिद्धान्त अलग-अलग परीक्षणों के आधार पर निश्चित किए गए हैं, जिनमें प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार है –

1. एक तत्त्व सिद्धान्त | Unifactor Theory –

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने है।

बाद में अमेरिकन मनोवैज्ञानिक टर्मन एवं स्टर्न तथा जर्मन मनोवैज्ञानिक एबिंहास ने इस सिद्धांत का समर्थन किया।

इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि सर्वश्रेष्ठ, सर्वशक्तिमान मानसिक शक्ति है, जो अन्य सभी मानसिक गुणों पर शासन करती है।

यदि कोई व्यक्ति किसी एक काम को बहुत अच्छी प्रकार से करता है, तो वह दूसरा काम भी उतनी अच्छी प्रकार से कर सकेगा, लेकिन यह सिद्धांत सर्वमान्य नहीं है।

2. द्वि-तत्त्व सिद्धान्त | Two Factor Theory –

इस सिद्धान्त के प्रतिपादक इंग्लैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन है।

इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि दो तत्त्वों से मिलकर बनी है- (1) सामान्य तत्त्व (General Ability or “G” Factor) तथा (2) विशेष तत्त्व (Specific Ability or “S” Factor)

सामान्य तत्त्व सभी बुद्धिमान लोगों में समान रूप से होता है।

विशेष तत्त्व भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में कम या अधिक मात्रा में होता है।

एक संगीतज्ञ में विशेष प्रकार की संगीत की बुद्धि होती है। इसके अलावा उसमें सामान्य बुद्धि भी होती है।

स्पीयरमैन के मतानुसार सामान्य तत्त्व का तो एक विषय से दूसरे विषय में स्थानान्तरण (Transfer) हो जाता है, लेकिन विशेष तत्त्व का नहीं।

बुद्धि के विशेष तत्त्व में अच्छे होने वाले बालकों को यदि अपने अनुकूल व्यवसाय मिल जाए, तो वे सफल होते हैं, अन्यथा असफल।

3. बहु तत्त्व सिद्धांत | Multi-Factor Theory –

इस सिद्धान्त का प्रतिपादन थॉर्नडाइक (Thorndike) ने किया था।

इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि स्वतंत्र कारकों से मिलकर बनी है। स्वतंत्र कारकों में से प्रत्येक किसी विशिष्ट मानसिक योग्यताओं का आंशिक प्रतिनिधित्व करता है।

जैसे- कोई अंग्रेजी में होशियार है तो हम उसकी विज्ञान विषय की योग्यता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

थॉर्नडाइक का यह सिद्धांत वास्तव में बुद्धि का आण्विक सिद्धान्त प्रतीत होता है।

4. त्रितत्त्व का सिद्धान्त | Three Factor Theory –

बुद्धि के त्रि-तत्त्व सिद्धान्त के मुख्य प्रतिपादक स्पीयरमैन है।

स्पीयर मैन ने बुद्धि के “S” और “G” तत्त्वों के साथ एक और तत्व सामूहिक तत्व जोड़कर तथा संशोधन करके इसका नाम त्रि-तत्त्व का सिद्धान्त रखा।

यह सिद्धान्त आज भी विवादास्पद रहने के कारण सर्वमान्य नहीं बन सका।

5. समूह कारक सिद्धान्त | Group Factor Theory –

समूह कारक सिद्धान्त के प्रतिपादक थर्स्टन ने किया था।

थर्स्टन ने अपनी पुस्तक “Primary Mental Abilites” में बुद्धि को तेरह तत्वों का समूह बताया है।

जिनमें से वर्तमान में सात को महत्त्वपूर्ण माना गया है।

6. क्रमिक महत्त्व का सिद्धान्त | Hierarchical Theory –

फिलिप वर्नन ने सन 1960 ई. में मानवीय योग्यताओं की संरचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि मानवीय योग्यताएं एक क्रमिक रूप में व्यवस्थित होती है।

इस क्रमबद्ध व्यवस्था में क्रमशः सामान्य कारक, मुख्य समूह कारक, लघू समूह कारक तथा विशिष्ट कारक होते हैं।

यह सिद्धान्त प्रत्येक मानसिक योग्यताओं को क्रमिक महत्त्व प्रदान करता है।

7. बुद्धि का त्रिआयामी/बुद्धि संरचना का सिद्धान्त –

गिलफोर्ड ने सर्वप्रथम बुद्धि संरचना का सिद्धान्त स्थापित किया।

जे.पी. गिलफोर्ड ने 1967 ई. में एक डिब्बे के आकार का एक मॉडल प्रस्तुत किया। जिसे बुद्धि संरचना मॉडल कहते है।

इस मॉडल के अंतर्गत 5*4*6=120 कोष/कारक बनाए गए।

उनका विचार था की कई विमा वाले प्रतिरूपों के बावजूद भी मानवीय मानसिक योग्यताओं को तीन विमाओं में विभाजित किया और तीन खण्डों को उनके उपखण्डो में विभाजित किया।

ये तीन तत्व निम्नानुसार हैं –

1.संक्रिया (Operation) –

  • संज्ञान या प्रत्यक्षीकरण –
  • स्मृति –
  • उपबिंदु चिन्तन या अपसारी –
  • अभिबिंदु चिन्तन या अभिसारी –
  • मूल्यांकन –

2.पदार्थ या अंतर्वस्तु (Material or Content) –

  • आकृति अन्तर्वस्तु –
  • प्रतीकात्मक अन्तर्वस्तु –
  • शब्दार्थ सम्बन्धी अन्तर्वस्तु या भाषागत –
  • व्यावहारिक अन्तर्वस्तु –

3.उत्पादन (Product) –

  • इकाइयाँ –
  • वर्ग –
  • सम्बन्ध –
  • पद्धति –
  • रूपान्तरण –
  • आशय या निहितार्थ –

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