उद्योग (Industries)

उद्योग (Industries)

द्वितीयक क्रियाएँ या विनिर्माण में कच्चे माल को लोगों के लिए अधिक मूल्य के उत्पादों के रूप में परिवर्तित किया जाता है। उद्योग (Industries) का संबंध आर्थिक गतिविधि से है जो कि वस्तुओं के उत्पादन, खनिजों के निष्कर्षण अथवा सेवाओं की व्यवस्था से संबंधित है।

उद्योगों का वर्गीकरण –

(1) कच्चा माल –

कच्चे माल के उपयोग के आधार पर उद्योग कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित हो सकते हैं।

(2) आकार –

उद्योग के आकार का तात्पर्य निवेश की गई पूँजी की राशि, नियोजित लोगों की संख्या और उत्पादन की मात्रा से है।

लघु आकार के उद्योग – कुटीर या घरेलू उद्योग (Industries) छोटे पैमाने के उद्योग हैं, जिसमें दस्तकारों के द्वारा उत्पादों का निर्माण हाथ से होता है। जैसे – टोकरी बुनाई, मिट्टी के बर्तन और अन्य हस्तनिर्मित वस्तुएँ आदि।

वृहद आकार के उद्योग – ऐसे उद्योगों में बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा पूँजी का निवेश अधिक और प्रयुक्त प्रौद्योगिकी उच्चस्तरीय होती है। ऑटोमोबाइल और भारी मशीनों का उत्पादन बड़े पैमाने के उद्योग हैं।

(3) स्वामित्व –

निजी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन या तो एक व्यक्ति द्वार या व्यक्तियों के समूह द्वारा किया जाता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन सरकार द्वारा होता है।

संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन राज्यों और व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता है।

सहकारी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन कच्चे माल के उत्पादकों या पूर्तिकारों, कामगारों अथवा दोनों द्वारा होता है।

उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक –

कच्चे माल की उपलब्धता, भूमि, जल, श्रम, शक्ति, पूँजी, परिवहन, संचार, विद्युत और बाजार हैं।

औद्योगिक तंत्र –

औद्योगिक तंत्र में निवेश, प्रक्रम और निर्गत शामिल हैं।

निवेश में कच्चे माल, श्रम और भूमि की लागत, जल की उपलब्धता, परिवहन, विद्युत और अन्य अवसंरचना शामिल हैं। सूती वस्र उद्योग के संदर्भ में कपास, मानव श्रम, कारखाना और परिवहन लागत निवेश हो सकते हैं।

प्रक्रम में कई तरह के क्रियाकलाप शामिल हैं जो कच्चे माल को परिष्कृत माल में परिवर्तित करते हैं।

निर्गत अंतिम उत्पाद और इससे अर्जित आय है।

औद्योगिक प्रदेश –

जब कई तरह के उद्योग (Industries) एक-दूसरे के निकट स्थित होते हैं और वे अपनी निकटता के लाभ आपस में बाँटते है। तब औद्योगिक प्रदेश का विकास होता है।

भारत में प्रमुख औद्योगिक प्रदेश – मुंबई-पुणे समूह, बैंगलुरु, तमिलनाडु प्रदेश, हुगली प्रदेश, अहमदाबाद-वड़ोदरा प्रदेश, छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश, विशाखापत्तनम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश, गुडगाँव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश और कोल्लम-तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश।

औद्योगिक विपदा –

उद्योगों में दुर्घटना/विपदा मुख्य रूप से तकनीकी विफलता या संकट उत्पन्न करने वाले पदार्थों के बेतरतीब उपयोग के कारण घटित होती है। भोपाल में 3 दिसम्बर, 1984 को अब तक की सबसे त्रासदपूर्ण औद्योगिक दुर्घटना है। इसका मुख्य कारण विषैली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव था।

क्या आप जानते हैं?

उभरते हुए उद्योग सनराइज उद्योग के नाम से भी जाने जाते हैं। जैसे – सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य लाभ, सत्कार तथा ज्ञान से सम्बंधित उद्योग (Industries)।

प्रमुख उद्योगों का वितरण –

लोहा-इस्पात उद्योग –

यह एक पोषक उद्योग (Industries) है जिसके उत्पाद अन्य उद्योनों के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

लौह-अयस्क से इस्पात निर्माण की प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं। कच्चे माल को झोंका भट्टी में रखा जाता है जहाँ यह प्रगलित होता है। इसके बाद यह परिशोधित होता है। प्राप्त उत्पाद इस्पात होता है जो अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।

इस्पात प्रायः आधुनिक उद्योगों का मेरुदंड कहलाता है।

भारत में लोहा-इस्पात उद्योग कच्चा माल, सस्ते श्रमिक, परिवहन और बाजार का लाभ लेते हुए विकसित हुए।

जमशेदपुर-  झारखंड में स्वर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम के समीप साकची (जमशेदपुर) में सन 1907 ई. में टिस्को की शुरुआत की गई थी। भौगोलिक दृष्टि से जमशेदपुर, देश में लोहा-इस्पात केंद्र के रूप में सर्वाधिक सुविधाजनक स्थान पर है।

पीट्सबर्ग – यह संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्त्वपूर्ण इस्पात नगर है। पीट्सबर्ग के इस्पात उद्योग को स्थानीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

सूती वस्र उद्योग –

धागे से कपड़े की बुनाई एक प्राचीन कला है। कपास, ऊन, सिल्क, जूट और पटसन का प्रयोग वस्र-निर्माण में होता है।

रेशे वस्र उद्योग के कच्चे माल हैं। रेशे प्राकृतिक या मानवनिर्मित हो सकते है। प्राकृतिक रेशे ऊन, सिल्क, कपास, लिनन और जूट से प्राप्त किए जाते हैं। मानवनिर्मित रेशों में नाइलॉन, पॉलिएस्टर, ऐक्रिलिक और रेयान शामिल हैं।

सूती वस्र उद्योग विश्व के प्राचीनतम उद्योगों में से एक है। भारत में अत्युत्तम गुणवत्ता के सूती वस्र उत्पादन करने की गौरवपूर्ण परंपरा रही है।

देश में प्रथम वस्र उद्योग 1818 ई. में कोलकाता के समीप फोर्ट गैलेस्टर में स्थापित हुआ था लेकिन कुछ समय बाद यह बंद हो गया।

ढाका का मलमल, मसूलीपट्टनम की छींट, कालीकट के केलिको तथा बुरहानपुर, सूरत व वड़ोदरा के सुनहरी जरी के काम वाले सूती वस्र गुणवत्ता और डिजाइनों के लिए विश्वविख्यात थे।

अहमदाबाद – 1859 ई. में यहाँ पहली सूती मिल स्थापित हुई थी। अहमदाबाद को प्रायः भारत का मेनचेस्टर कहा जाता है। अहमदाबाद कपास उत्पन्न करने वाले क्षेत्र के बहुत ही निकट स्थित है और जलवायु कताई व बुनाई के लिए आदर्श है।

ओसाका – यह जापान का एक महत्त्वपूर्ण वस्त्र-निर्माण केंद्र है। ओसाका में सूती वस्त्र उद्योग का विकास कई भौगोलिक कारणों से हुआ है। यहाँ का वस्त्र उद्योग पूर्णतः आयातित कच्चे माल के ऊपर निर्भर है।

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