छत्रपति शिवाजी

छत्रपति शिवाजी

17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया आरम्भ होने के साथ कई स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई, जिसमें मराठों (छत्रपति शिवाजी) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

सामान्य जानकारी –

छत्रपति शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई. को पूना के उत्तर में स्थित जुन्नान नगर के निकट शिवनेर के दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी का नाम शाहजी भौंसले और माता का नाम जीजाबाई था।

आरंभ से ही शिवाजी का मूल उद्देश्य भारत में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करना था।

शिवाजी के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव उनकी माता जीजाबाई और उनके शिक्षक दादा कोडदेव का पड़ा। उनके गुरु का नाम समर्थ रामदास था।

25 जनवरी, 1656 ई. को उसकी हत्या कर दी। 1660 ई. में मुगल सूबेदार शाइस्त खां को शिवाजी को समाप्त करने के लिए भेजा गया। 15 अप्रैल, 1663 ई. को शिवाजी चुपके से पूना में प्रवेश कर गए और रात को शाइस्त खां पर आक्रमण कर दिया। शाइस्त खां आक्रमण से घबराकर भाग गया।

1665 ई. में औरंगजेब ने राजा जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा। जयसिंह ने वज्रगढ़ को जीतकर, शिवाजी को पुरंदर के किले में घेर लिया। अंततः शिवाजी ने आत्मसमर्पण कर दिया। 22 जून, 1665 ई. को शिवाजी और जयसिंह के मध्य पुरंदर की संधि हुई, जिसके अनुसार –

  1. शिवाजी ने 23 किले और 4 लाख हूण की वार्षिक आय की भूमि मुगलों को दी।
  2. इनके पास केवल 12 किले ही बचे।
  3. शिवाजी ने मुगल आधिपत्य स्वीकार कर लिया।
  4. शिवाजी ने बीजापुर के विरुद्ध मुगलों को सैनिक सहायता देने का वादा किया।

1666 ई. में शिवाजी, औरंगजेब से मिलने आगरा गए, जहाँ औरंगजेब ने शिवाजी को जयपुर भवन (आगरा) में नजरबंद रखा, परन्तु चतुराई से शिवाजी वहाँ से भागने में सफल हुए।

16 जून, 1674 ई. में शिवाजी ने काशी के प्रसिद्ध विद्वान् श्रीगंगाभट्ट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया। उन्होंने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की और रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।

शिवाजी की मृत्यु 14 अप्रैल, 1680 ई. को 53 साल की आयु में हो गई।

शिवाजी का प्रशासन –

राजा या छत्रपति – राजा की सम्पूर्ण शक्तियाँ शिवाजी में केंद्रित थी। वह राज्य के अंतिम कानून निर्माता, प्रशासकीय प्रधान, न्यायाधीश और सेनापति थे।

उन्होंने मराठी को शासन की भाषा बनाया और उसकी प्रगति के लिए रघुनाथ पंडित हनुमंते के नेतृत्व में एक शब्द कोष राज्य व्यवहार कोष लिखवाया।

अष्ट प्रधान –

शासन का वास्तविक संचालन अष्ट प्रधान नामक आठ मंत्री करते थे –

क्र.सं.पद नामकार्य
1.पेशवा अथवा मुख्य प्रधान (प्रधानमंत्री)सम्पूर्ण राज्य के शासन की देखभाल करना।
2.अमात्य या मजूमदारराज्य की आय और व्यय की देखभाल करना।
3.मंत्री या वाकिया-नवीसराजा के दैनिक कार्यों को लेखबद्ध करना
4.सचिव या शुरू-नवीसराजा के पत्रों की भाषा एवं शैली को ठीक करना।
5.सुमन्त या दबीर (विदेश मंत्री)राजा को संधि या युद्ध के बारे में सलाह देना।
6.सेनापति या सर-ए-नौबतसेना की भर्ती, संगठन, शिक्षा, रसद की व्यवस्था।
7.पंडित रावविद्वानों एवं धार्मिक कार्यों के लिए दिए जाने वाले अनुदानों का दायित्व निभाना।
8.न्यायाधीशराज्य के समस्त दीवानी एवं फौजदारी मामलों को निपटाना।

सैन्य वयवस्था –

शिवाजी की सेना का मुख्य बाग घुड़सवार और पैदल सेना थी। घुड़सवार दो प्रकार के थे –

बरगीर – ये शाही घुड़सवार थे, जिन्हें राज्य की ओर से शस्र मिलते थे।

सिलेदार – इन्हें घोड़े व शस्र स्वयं खरीदने पड़ते थे।

पैदल सेना –

नायक – 9 सैनिकों या पाइकों का अधिकारी।

हवलदार – दस नायकों का अधिकारी।

जुमलादार – दो या तीन हवलदारों का अधिकारी।

एक हजारी – दस जुमलादारों का अधिकारी।

सर-ए-नौबत – सम्पूर्ण पैदल सेना का प्रधान।

लगान व्यवस्था –

शिवाजी ने अपनी आय का मुख्य साधन चौथ और सरदेशमुखी को बनाया था। ये कर पडौसी राज्य की सीमाओं और नगरों से अथवा अपने प्रभाव क्षेत्र के नागरिकों से वसूले जाते थे। चौथ उस प्रदेश की वार्षिक आय का एक-चौथाई भाग और सरदेशमुखी उस प्रदेश की आय का 1/10 प्रतिशत थी।

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