मुगल साम्राज्य (Mugal Samrajy)
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बाबर (1526 – 30 ई.) –
मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 ई. को फरगाना में हुआ। वह पितृ वंश की ओर से तैमूर का वंशज एवं मातृ वंश को ओर से चंगेज खां का वंशज था।
बाबर 1494 ई. में 11 वर्ष की उम्र में फरगान की गद्दी पर बैठा। भारत पर आक्रमण से पहले बाबर ने काबुल, बुखारा, खुरासान और समरकन्द पर विजय प्राप्त की। बाबर ने 1504 ई. में काबुल जीतने के बाद पादशाह की उपाधि धारण की।
बाबर का भारत पर आक्रमण –
- इसने अपने प्रथम आक्रमण (1519 ई.) में बाजौर और भेरा को जीता और वापस चला गया। बाबर खैबर दर्रे से होकर आया था।
- दूसरा आक्रमण भी 1519 ई. में हुआ और वह पेशावर से वापस चला गया।
- तीसरा आक्रमण 1520 ई. में हुआ और सियालकोट उसके अधिकार में आ गया।
- बाबर ने अपने चौथे आक्रमण (1524 ई.) में पंजाब के अधिकांश भाग पर कब्जा कर लिया।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध –
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल, 1526 ई.) –
यह युद्ध बाबर एवं इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ था। बाबर ने इस युद्ध में तुगलुमा युद्ध पद्धति व तोपखाने (इस युद्ध में पहली बार तोपों का प्रयोग हुआ) का प्रयोग किया। उस्ताद अली कुली एवं मुस्तफा, बाबर के तोपची थे। उन्होंने तोपों को सजाने की उस्मानी विधि (रूमी) का प्रयोग किया।
खानवा का युद्ध (16 मार्च, 1527 ई.) –
यह युद्ध बाबर और मेवाड़ के शासक राणा सांगा के बीच हुआ। युद्ध जीतने के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
चन्देरी का युद्ध (29 जनवरी, 1528 ई.) –
यह युद्ध बाबर और मेदिनिराय के मध्य हुआ, जिसमें मेदिनिराय मारा गया। उसने इस युद्ध में जेहाद घोषित किया।
घाघरा का युद्ध (6 अप्रैल, 1529 ई.) –
इस युद्ध में बाबर ने घाघरा के तट (बिहार) पर अफगानों को पराजित किया।
यह बाबर द्वारा लड़ी गई अंतिम लड़ाई थी।
पानीपत युद्ध जीतने के बाद बाबर ने सरदारों को उचित इनाम दिए और
हुमायूँ ने बाबर को कोहिनूर का हिरा दिया।
उसकी उदारता के लिए उसे कलन्दर कहकर पुकारा गया।
बाबर ने पद्य में एक नवीन शैली में मुबइयान को लिखा जो मुस्लिम कानून की पुस्तक है।
इसकी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी तुर्की भाषा में थी, जिसे अकबर ने अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना के द्वारा फारसी भाषा में रुपान्तरण करवाया था। इसमें भारत में पाँच मुसलमान राज्य –दिल्ली, गुजरात, बहमनी, मालवा और बंगाल और दो काफिर राज्य – विजयनगर तथा मेवाड़ का वर्णन है।
बाबर की मृत्यु –
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर, 1530 ई. को आगरा में हुई। पहले उसे आगरा के आरामबाग में, परन्तु बाद में उसे काबुल में उसी के द्वारा चुने स्थान पर दफना दिया गया। बाबर में मरने से पहले हुमायूँ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
हुमायूँ (1530 – 1556 ई.) –
बाबर के सबसे बड़े पुत्र हुमायूँ का जन्म 6 मार्च, 1508 ई. को काबुल में हुआ।
इसकी माँ माहम सुलतान थी।
हुमायूँ ने 30 दिसंबर, 1530 ई. को 23 वर्ष की उम्र में आगरा की गद्दी संभाली।
हुमायूँ द्वारा लड़े गए युद्ध –
- कालिंजर पर आक्रमण (1531 ई.) – हुमायूँ ने कालिंजर के शासक प्रतापरुद्रदेव पर अपना पहला आक्रमण किया, लेकिन वह असफल रहा।
- दौराहा (दोहरिया का युद्ध) और चुनार का प्रथम घेरा (1532 ई.) – यह युद्ध हुमायूँ और अफगान महमूद लोदी के बीच हुआ, जिसमें महमूद लोदी पराजित हुआ। इसके बाद हुमायूँ ने चुनारगढ़ का घेरा डाला और शेरशाह के हाथों छिनने का प्रयत्न किया।
- बहादुरशाह से संघर्ष (1535-36 ई.) – हुमायूँ ने गुजरात के शासक को हराकर मांडू और चम्पानेर का दुर्ग जीता।
- चौसा का युद्ध (26 जून, 1539 ई.) – यह युद्ध हुमायूँ और शेर खां के मध्य चौसा नामक स्थान पर हुआ। चौसा कर्मनाशा नदी पर स्थित था। इस युद्ध में हुमायूँ पराजित हुआ। युद्ध जीतने के बाद शेर खां ने शेरशाह की उपाधि धारण की। इस युद्ध में हुमायूँ बड़ी मुश्किल से निजाम नामक एक भिश्ती की सहायता से गंगा नदी को पार कर सका।
- कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध (17 मार्च, 1540 ई.) – इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूँ को पराजित कर आगरा और दिल्ली पर अधिकार कर लिया और हुमायूँ भारत छोड़कर सिंध चला गया।
हुमायूँ का निष्कासित जीवन (1540 – 55 ई.) –
15 वर्ष के निष्कासित जीवन के दौरान हुमायूँ ने हिन्दाल के गुरु मीर अली अकबर की पुत्री हमीदा बानो बेगम से 1541 ई. में विवाह किया, जिसने कालान्तर में अकबर को जन्म दिया।
भारत में पुनः विजय और मृत्यु (1555 – 56 ई.) –
15 मई, 1555 ई. को मच्छिवारा के युद्ध में मुगलों की विजय हुई और उन्होंने पंजाब को जीत लिया। 22 जून, 1555 ई. को सरहिन्द के युद्ध में मुगलों ने सिकन्दर सूर को पराजित किया। इसके बाद हुमायूँ ने दिल्ली, आगरा आदि क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।
23 जुलाई, 1555 ई. को हुमायूँ एक बार फिर दिल्ली का बादशाह बना।
हुमायूँ की मृत्यु दीनपनाह के पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर 27 जनवरी, 1556 ई. को हुई।
उसने अकबर को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
दिल्ली में दीनपनाह नामक नगर की स्थापना हुमायूँ ने की थी।
शेरशाह सूरी (शेर खां) 1540 – 1545 ई. –
मुगल साम्राज्य के अन्य शासक-
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