राजपूत राज्यों का एकीकरण

राजपूत राज्यों का एकीकरण

राजपूत राज्यों का एकीकरण सात चरणों में पूरा हुआ।

ब्रिटिश सरकार की स्वीकृति के बाद लार्ड माउन्टबैटन ने 4 जून, 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा की गई।

जिसमें यह प्रावधान किया गया की ब्रिटिश सरकार 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरित कर देगी।

15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो गया।

भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की धारा 8 के तहत् भारत की सभी देशी रियासतों पर से ब्रिटिश प्रभुसत्ता समाप्त हो गई।

इसके बाद देशी रियासतों का यह अधिकार सुरक्षित रखा गया कि वे या तो भारत संघ में विलय हो या पाकिस्तान में मिले अथवा स्वयं को स्वत्रंत घोषित कर अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखें।

देशी रियासतों के मसले को हल करने के लिए 5 जुलाई, 1947 को लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग स्थापित किया गया।

वी.पी.मेनन को इस विभाग का सचिव बनाया गया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्पष्ट कर किया था कि देशी रियासतें 15 अगस्त, 1947 से पहले ही भारतीय संघ में शामिल हो जाए।

देशी रियासतों को सार्वजनिक हित में तीन विषय रक्षा, संचार तथा विदेशी मामले भारत संघ को सौंपने थे तथा शेष विषयों के आतंरिक मामलों में वे स्वतंत्र थे।

स्वतंत्रता के समय की स्थिति –

राजस्थान 19 देशी रियासतों, 3 चिफशिप (ठिकाने) यथा- कुशलगढ़, लावा व नीमराणा तथा चीफ कमिश्नर द्वारा प्रशासित अजमेर-मेरवाड़ा प्रदेश में विभक्त था।

बीकानेर नरेश शार्दूलसिंह ने 7 अगस्त, 1947 को अपनी रियासत के भारत में विलय करने के सम्मिलन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।

ऐसा करने वाले वे प्रथम देशी शासक थे।

मत्स्य संघ का निर्माण (प्रथम चरण) –

अलवर और भरतपुर से मिली हुई धौलपुर और करौली की छोटी-छोटी रियासतें थी।

ये चारों रियासतें भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार पृथक् अस्तित्व बनाए रखने योग्य नहीं थी।

अतः इन चरों ने मिलकर मत्स्य संघ बना लिया।

इस नए राज्य का उद्घाटन एन.बी. गाडगिल ने 18 मार्च, 1948 किया।

संघ के राजप्रमुख महाराजा धौलपुर और उप राजप्रमुख महाराजा करौली बनाए गए।

अलवर प्रजामंडल के प्रमुख नेता शोभाराम कुमावत मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री बने व अलवर को राजधानी बनाया गया।

राजस्थान संघ का निर्माण (द्वितीय चरण) –

कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, किशनगढ़, प्रतापगढ़, शाहपुरा व टोंक रियासतों को मिलाकर 25 मार्च, 1948 को राजस्थान संघ नामक राज्य का निर्माण किया गया।

इस संघ की राजधानी कोटा, राज प्रमुख कोटा महाराव भीमसिंह व प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया।

बाँसवाड़ा के महारावल चन्द्रवीरसिंह ने विलय-पत्र पर यह कहकर हस्ताक्षर कर दिए कि,

“मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।”

संयुक्त राजस्थान (तृतीय चरण) –

राजस्थान संघ में मेवाड़ (उदयपुर) का विलय कर 18 अप्रैल, 1948 को संयुक्त राजस्थान का गठन किया।

इसकी राजधानी उदयपुर, राज प्रमुख महाराणा भूपालसिंह व प्रधानमंत्री माणिक्यलाल वर्मा को बनाया गया।

वृहत राजस्थान (चतुर्थ चरण) –

संयुक्त राजस्थान में बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर और जोधपुर रियासतों को मिलाकर 30 मार्च, 1949 को वृहत राजस्थान का गठन किया गया।

इसकी राजधानी जयपुर, महाराज प्रमुख महाराणा भूपालसिंह, राजप्रमुख महाराजा मानसिंह द्वितीय (जयपुर) बनाया गया।

प्रधानमंत्री हीरालाल शास्री को बनाया गया।

इसका उदघाटन सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया।

30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय भी लिया गया।

संयुक्त वृहत्तर राजस्थान (पंचम चरण) –

15 मई, 1949 ई. को वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ की चारों रियासतों को मिलाकर संयुक्त वृहत्तर राजस्थान का गठन किया गया।

राजस्थान (छठा चरण) –

26 जनवरी, 1950 ई. को संयुक्त वृहत्तर राजस्थान में सिरोही (आबू व देलवाड़ा को छोड़कर) को शामिल किया गया।

पुनर्गठित राजस्थान (सप्तम चरण) –

 1 नवम्बर, 1956 ई. को आबू, देलवाड़ा, अजमेर-मेरवाड़ा, सुनेलटप्पा (सिरोज सब डिविजन को छोड़कर)

राजस्थान में शामिल कर राजपूत राज्यों का एकीकरण कर वर्तमान स्वरूप प्रदान किया गया।

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