नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 1897 ई. को कटक (बंगाल) कस्बे में हुआ।

उनकी शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई थी।

1920 ई. में भारतीय लोक सेवा परीक्षा (ICS) में वे दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने अप्रैल 1921 ई. में इस सेवा से त्यागपत्र दे दिया और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए।

चितरंजनदास इनके राजनीतिक गुरु थे।

1921 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आने पर उन्होंने कलकत्ता में उनके स्वागत का बहिष्कार किया परिणामस्वरूप उन्हें 6 महीने के लिए जेल जाना पड़ा।

सी.आर. दास द्वारा 1923 ई. में गठित स्वराज्य दल का सुभाषचंद्र बोस ने समर्थन किया।

1928 ई. में प्रस्तुत नेहरू रिपोर्ट के विरोध में नेताजी ने एक इंडिपेंडेंट लीग की स्थापना की।

गाँधी-इरविन समझौते (1931 ई.) का सुभाषचंद्र बोस ने विरोध किया।

1939 ई. में हालवेल स्टैच्यू को सार्वजनिक स्थल से हटाने के लिए सुभाषचंद्र बोस ने आंदोलन किया, परिणामस्वरूप उन्हें सरकार ने जेल में डाल दिया।

सुभाषचंद्र बोस ने सरकार को लिखा, “मुझे मुक्त कर दीजिए, अन्यथा मैं जीवित रहने से इन्कार कर दूँगा, इस बात का निश्चय करना मेरे वश में है कि मैं जीवित रहूँ या राम जाऊँ, शहीदों का खून धर्म का बीज होता है, देशवासियों से यही कहना है कि भूलना नहीं कि दासता मनुष्य के लिए सबसे बड़ा पाप है।”

नेताजी 1939 में पट्टाभि सितारमैया को पराजित कर कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस से निकलकर 1939 ई. में फ़ॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी का गठन किया।

नेताजी 26 जनवरी, 1941 ई. को वे अफगानिस्तान होते हुए जर्मनी पहुँचे जहाँ उन्होंने हिटलर से मुलाकात की।

आजाद हिंद फौज

  • ब्रिटिश भारतीय सेना के वे सिपाही जिन्होंने जापान के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, को लेकर इन्होंने 1941 ई. में मलाया में आजाद हिंद फौज का गठन किया।
  • सुभाषचंद्र बोस INA (आजाद हिन्द फौज/indian National Army) के सर्वोच्च व प्रथम सेनापति (कमांडर) घोषित किए गए।
  • बैंकाक में सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की पुर्नस्थापना की।
  • 21 अक्टूबर, 1943 ई. को उन्होंने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार का गठन किया, इस सरकार का मुख्यालय रंगून (यांगून) में बनाया गया।
  • जापान, जर्मनी व इटली सहित 9 देशों ने इस अस्थायी सरकार को मान्यता दी।
  • नवम्बर, 1943 ई. में जापान ने अंडमान निकोबार द्वीपों को इस स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार को सौंप दिया।
  • 18 मार्च, 1944 ई. को आजाद हिंद फौज ने पहली बार भारत-भूमि पर कदम रखा।
  • सुभाषचंद्र बोस ने महिलाओं के लिए लक्ष्मीबाई के नाम पर रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट स्थापित की।
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहों को शहीद और स्वराज द्वीप नाम दिया गया।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजाद हिंद फौज के जवानों को गुमराह देशभक्त कहा।

बोस ने बर्लिन रेडियों से प्रसारण के दौरान गाँधीजी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता शब्द से संबोधित किया।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने नारा दिया कि ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’

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