अभिवृद्धि एवं विकास

अभिवृद्धि एवं विकास की संकल्पना | अंतर | Concept of Growth and Development | Difference

अभिवृद्धि एवं विकास दोनों शब्द प्रायः एक ही अर्थ में प्रयोग किए जाते है। वृद्धि एवं विकास की संकल्पना को जानने के लिए हम सबसे पहले इनका अर्थ जानते हैं।

अभिवृद्धि (Growth) से क्या तात्पर्य हैं ?

शारीरिक अंगों अथवा सम्पूर्ण जीव की बढ़ोत्तरी को अभिवृद्धि कहते हैं।

इसका मापन अथवा मात्राकरण किया जा सकता हैं, जैसे – ऊँचाई, वजन आदि में वृद्धि।

विकास (Development) से क्या तात्पर्य है?

विकास ऐसी प्रक्रिया जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन-चक्र में बढ़ता रहता है एवं परिवर्तित होता रहता है।

विकास शब्द उन परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिनके होने की एक दिशा होती है तथा जिनका इनके पूर्ववर्ती कारकों से एक निश्चित संबंध होता है जो बाद में यह निर्धारित करेंगे कि इन परिवर्तनों के बाद क्या आएगा या घटित होगा।

विकास के फलस्वरूप होने वाले सभी परिवर्तन एक जैसे नहीं होते।

अभिवृद्धि, विकास का एक पक्ष हैं।

अभिवृद्धि एवं विकास के संबंध में विद्वानों के विचार –

सोरेन्सन के अनुसार – “अभिवृद्धि शब्द का प्रयोग, सामान्यतः शरीर और उसके अंगो के भार और आकार में वृद्धि के किया जाता है। इस वृद्धि को नापा और तौला जा सकता है। विकास का संबंध अभिवृद्धि से अवश्य होता है, पर यह शरीर के अंगों में होने वाले परिवर्तनों को व्यक्त करता है। उदाहरणार्थ, बालक की हड्डियाँ आकार में बढ़ती हैं, यह भी बालक की अभिवृद्धि है: किन्तु हड्डियाँ कठोर हो जाने के कारण उनके स्वरूप में जो परिवर्तन आ जाता है, यह विकास को दर्शाता है। इस प्रकार विकास में अभिवृद्धि का भाव निहित रहता है।

हरलॉक के अनुसार – “विकास, अभिवृद्धि तक ही सीमित नहीं है। इसके बजाय,इसमें परिपक्वावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है। विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएँ और नवीन योग्यताएँ प्रकट होती है।”

गेसेल के अनुसार – “विकास, अभिवृद्धि से अधिक है। इसे देखा, जाँचा और किसी सीमा तक तीन प्रमुख दिशाओं- शरीर अंग विश्लेषण, शरीर ज्ञान तथा व्यवहारात्मक में मापा जा सकता है इन सब में, व्यावहारिक संकेत ही सबसे अधिक विकासात्मक स्तर और विकासात्मक शक्तियों को व्यक्त करने का माध्यम है।”

अभिवृद्धि एवं विकास की प्रक्रियाएँ उसी समय से प्रारम्भ हो जाती है जिस समय से बालक का गर्भाधान होता है।

अभिवृद्धि एवं विकास में अंतर | Difference Between Growth and Development –

क्र.सं.अभिवृद्धिविकास
1.इसका स्वरूप बाह्य होता है।यह आतंरिक होता है।
2.अभिवृद्धि कुछ समय के बाद रुक जाती है।विकास जीवन-पर्यन्त चलता रहता है।
3.इसका प्रयोग संकुचित अर्थ में होता है।विकास शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
4.इसको सीधे मापा जा सकता है।इसका सीधा मापन असंभव है।
5.इसका संबंध केवल आकार बढ़ने से है।इसका संबंध सभी परिवर्तनों से है।
6.इसमें कोई निश्चित क्रम नहीं होता है।विकास में एक निश्चित क्रम होता है।
7.इसका कोई लक्ष्य नहीं होता है।इसका कोई न कोई लक्ष्य होता है।

महत्वपूर्ण बिंदु –

  • विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धांत –
  • विकास को प्रभावित करने वाले कारक –
  • REET L-1 एवं L-2 syllabus in hindi

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