व्यक्तिगत विभिन्नताएं | Individual Differences : अर्थ, प्रकार व कारण
Table of Contents
व्यक्तिगत विभिन्नताएं: अर्थ, प्रकार – अकसर देखा जाता है कि व्यक्तियों में कुछ न कुछ समानता मिलती है लेकिन उनमें आपस में अनेक प्रकार की विभिन्नताएं भी देखने को मिलती है।
मनोविज्ञान के युग में 19वीं शताब्दी में टर्मन, पियर्सन, गाल्टन, कैटेल जैसे विद्वानों ने वैयक्तित अंतर के बारे में जानकारी प्राप्त की।
वैयक्तिक विभिन्नता से क्या अभिप्राय हैं?
प्रत्येक व्यक्ति में जैविक, मानसिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक अंतर पाए जाते है जिन्हें वैयक्तिक विभिन्नताएं कहा जाता है।
वैयक्तिक विभिन्नता को हम निम्न परिभाषाओं से स्पष्ट कर सकते हैं –
स्किनर के अनुसार – “वैयक्तिक विभिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तिगत का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।”
टायलर के अनुसार – “एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से अंदर एक सार्वभौमिक घटना जान पड़ती है।”
व्यक्तिगत भिन्नता के प्रकार –
शारीरिक विभिन्नता | Physical Difference –
शारीरिक रूप से व्यक्तियों में भिन्नता देखने को मिलती है।
गोरे, साँवले, लम्बे, नाटे, मोटे, दुबले, सामान्य आदि शारीरिक विभिन्नताएं होती है।
मानसिक विभिन्नता | Mental Difference –
मानसिक स्तर की दृष्टि से भी व्यक्तियों में अंतर पाया जाता है।
बुद्धि परीक्षाओं के द्वारा इन भिन्नताओं को आसानी से पहचाना जा सकता है।
विद्यालय की किसी एक कक्षा में अलग-अलग बुद्धि के बालक होते है।
अधिगम में विभिन्नता | Learning Difference –
कुछ बालक सीखने में तीव्र होते हैं और कुछ मन्द होते हैं।
जो बालक तीव्र होते हैं, उनकी थोड़ी-सी सहायता ही पर्याप्त होती है।
एक बार सीखने पर उनके मन में कोई बात बहुत समय तक रह सकती है।
जो बालक सीखने में मंद होते हैं, उनको शिक्षा देने में अध्यापक को बहुत परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।
संवेगात्मक विभिन्नता | Emotional Difference –
संवेगात्मक दृष्टि से भी बच्चों में विशेष प्रकार के अंतर पाए जाते हैं।
इन विभिन्नताओं के कारण ही व्यक्ति उद्दार ह्रदय वाला या कठोर हृदय वाला, कुछ क्रोधी तो कुछ मुर्ख व्यक्ति पाए जाते हैं।
बालकों की संवेगात्मक भिन्नताओं का मापन करने के लिए संवेगात्मक परीक्षणों का निर्माण किया गया।
रूचियों में विभिन्नता | Interests Difference –
रूचि की दृष्टि से बालक-बालिकाओं में कई प्रकार की भिन्नताएँ पाई जाती है।
पढ़ने, लिखने, वस्त्र पहनने आदि सभी बातों में भिन्न-भिन्न रूचियों के व्यक्ति मिलते हैं।
सगे भाई-बहिनों की रूचि भी अलग-अलग होती है।
स्वभावगत में विभिन्नता | Difference in Temperamental –
यह भिन्नता भी बालकों में विशेष रूप से पाई जाती है।
कुछ बालक हमेशा प्रसन्न होते है, कुछ हमेशा उदास रहते हैं।
कई बालक चिड़चिड़े होते हैं, कुछ क्रोधी होते हैं।
इस प्रकार स्वभाव की दृष्टि से अनेक वैयक्तिक भिन्नताएं होती है। सबका स्वभाव समान नहीं होता है।
गत्यात्मक योग्यताओं में विभिन्नता | Difference in Motor Activites –
गत्यात्मक योग्यताओं की दृष्टि से भी अनेक भिन्नताएँ होती है।
हम देखते कुछ व्यक्ति किसी कार्य को कुशलता के साथ करते है और कुछ व्यक्ति उसी कार्य को उतनी कुशलता से नहीं कर पाते हैं।
व्यक्तित्व में विभिन्नता | Difference in Personality –
दो व्यक्ति लगभग बराबर योग्यता होते हुए भी अपने व्यवहार में भिन्न हो सकते हैं।
व्यक्ति रूढ़िवादी है या आधुनिक विचार का ईमानदार या बेईमान, प्रसारक या अप्रसारक आदि सभी व्यक्तित्व भिन्नता हैं।
विशिष्ट योग्यता में विभिन्नता | Difference in Special Ability –
ऐसे बालक बहुत कम होते हैं, जो प्रत्येक विषय में समान योग्यता रखते हैं।
एक बालक सभी विषयों में अच्छा होते हुए भी गणित में कमजोर हो सकता है या सभी विषयों में साधारण होते हुए भी केवल अंग्रेजी में बहुत अच्छा हो सकता है।
व्यक्तिगत विभिन्नताएं | Individual Differences : अर्थ, प्रकार व कारण
व्यक्तिगत विभिन्नताओं के क्या कारण है ?
(व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक)
आनुवांशिकता | Heredity –
माता-पिता के गुण व विशेषताएँ (जीन्स) मिलते जुलते रूप में उनके बच्चों को मिलते है।
अतः बालकों की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और चारित्रिक विभिन्नताओं का मुख्य कारन वंशानुक्रम/आनुवांशिकता है।
वातावरण/पर्यावरण | atmosphere/environment –
व्यक्ति के आस-पास जिस प्रकार का पर्यावरण/वातावरण होता है उसी के अनुसार उसके रहन-सहन, आचार-विचार एवं व्यवहार में परिवर्तन कर लेता है।
भौगोलिक पर्यावरण का उसके रंग-रूप, कार्यक्षमता, शारीरिक शक्ति आदि पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ता है।
प्रजातिगत अंतर | Race Differences –
प्रत्येक जाति (Caste), प्रजाति (Race), समाज या देश में धर्म, संस्कृति, आचार विचार, नियम, विश्वास एवं अनेक रीति-रिवाज मिलकर व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करके उनमें वैयक्तिक विभिन्नताएं लाते हैं।
उदाहरण के लिए, उत्तर भारत के लोगों का भोजन करने का ढंग कुछ होता है।
जबकि दक्षिण भारत के लोग हाथ से जब चावल खाते हैं, तो वह ढंग उत्तर भारत के लोगों को बड़ा ही खराब लगता है।
पंजाब में सलवार-कुर्ता चलता है, तो पश्चिमी बंगाल में धोती-कुर्ता।
आयु | Age –
ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं संवेगात्मक विकास होता है जिनसे वैयक्तिक अंतर का जन्म होता है।
शिक्षा | Education –
शिक्षा व्यक्ति को सदाचार का पाठ पढ़ाती है।
जिससे व्यक्ति गंभीर एवं विचारशील बनकर अशिक्षित व्यक्ति से अलग पहचान बनाता है।
बालक को जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती है तथा जिस प्रकार के विद्यालय में शिक्षा दी जाती है, उन सबका प्रभाव बालक के व्यक्तित्व पर पड़ता है।
लिंग भेद –
लिंग भेद भी व्यक्तिगत अंतर का एक प्रमुख कारण है।
लड़के व लड़कियों में सदैव भिन्नता रहती है। जिसके कारण इनकी शारीरिक बनावट, संवेगात्मक विकास में काफी अंतर देखा जा सकता है।
बुद्धि | Intelligence –
यह एक जन्मजात गुण है जिसके कारण कुछ बालक तीव्र बुद्धि वाले तो कुछ बालक मंद बुद्धि के होते है।
आर्थिक तत्त्व | Economic Factors –
आर्थिक विशेषताएँ व्यक्तिगत विभिन्नताएं उत्पन्न करती हैं।
निम्न आर्थिक स्थिति में पले व्यक्ति के व्यवहार आर्थिक संपन्न व्यक्ति से अलग होंगे।
इसी प्रकार कृषि-प्रधान समाज के व्यक्तियों तथा उद्योग-प्रधान व्यक्तियों के व्यवहारों में भिन्नता होगी।
ये भी पढ़े –