You are currently viewing राजस्थान लोक सेवा आयोग
राजस्थान लोक सेवा आयोग

राजस्थान लोक सेवा आयोग

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC)

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के गठन का इतिहास अभूतपूर्व रहा है। वर्ष 1923 में ली कमीशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी किन्तु इस कमिशन ने प्रान्तों में लोक सेवा आयोगों की स्थापना के बारें में कोई विचार नहीं किया।

राज्य की स्थापना के समय केवल तीन प्रान्तों (1) जोधपुर-1939, (2) जयपुर-1940 और (3) बीकानेर-1946 में ही लोक सेवा आयोग कार्यरत थे। इन आयोगों का दायित्व भर्ती एवं सेवा संबंधी नियमों का निर्माण तथा कुछ वर्गों के कर्मचारियों की नियुक्ति करना था।

रियासतों के एकीकरण के बाद गठित राजस्थान राज्य की तत्कालीन सरकार ने सवतंत्रता से पूर्व रियासतों में स्थापित लोक सेवा आयोग को भंग कर दिया और 16 अगस्त, 1949 को एक अध्यादेश के अधीन राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की जयपुर में स्थापना की। जिसका प्रकाशन राजस्थान के राजपत्र में 20 अगस्त, 1949 को हुआ। अध्यादेश में आयोग के गठन, कर्मचारीगण और आयोग के कार्यों से संबधित नियम भी बनाए गए।

आरंभिक चरण में राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य थे। राजस्थान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सर एस.के.घोष को 20 अगस्त, 1949 को प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

संविधान के प्रावधान-

राज्यों में योग्य लोक सेवकों की भर्ती करने के लिए संविधान के 14वें भाग में अनुच्छेद 315 से 323 तक राज्य लोक सेवा आयोग के गठन कार्य, शक्तियों, सदस्यों की नियुक्ति, बर्खास्तगी आदि का प्रावधान है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315(1) के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक लोक सेवा आयोग का गठन किए जाने का प्रावधान है।

अनुच्छेद 315 (2) के अनुसार दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक संयुक्त लोक सेवा आयोग के गठन प्रावधान है। इस प्रकार के आयोग के गठन के लिए विधि निर्माण की शक्ति संसद को प्राप्त है तथा आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है तथा संयुक्त आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को संबोधित करते है।

राजस्थान लोक सेवा आयोग का मुख्यालय –

1956 में राजस्थान राज्य के पुनर्गठन के बाद सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर राजस्थान लोक सेवा आयोग को अजमेर स्थानान्तरित किया गया। इससे पूर्व राजस्थान लोक सेवा आयोग के मुक्यालय जयपुर में था।

अध्यक्ष व सदस्यों की संख्या-

वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में एक अध्यक्ष एवं सात सदस्य है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को आयोग सचिवालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया जाता है। सचिव द्वारा समस्त प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्यों का निष्पादन किया जाता है।

अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति(अनुच्छेद 316) –

राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह से की जाती है। परम्परा के अनुसार आयोग के वरिष्ठ सदस्य को अध्यक्ष बनाया जाता है।

अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर वरिष्ठ सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।

कार्यकाल-

राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य अधिकतम 6 वर्ष की अवधि या 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक, जो भी पहले हो, के लिए आयोग में कार्यरत रहते है।

राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या कोई भी सदस्य राज्य के राज्यपाल को संबोधित कर अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वार अपना त्यागपत्र दे सकता है।

पद से हटाना (अनुच्छेद 317)

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व किसी अन्य सदस्य को केवल कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनुच्छेद 145 में विहित प्रक्रिया के तहत् उच्चतम न्यायालय द्वारा दोष साबित होने पर ही हटाया जा सकता है। जाँच के दौरान राज्यपाल आरोपी अध्यक्ष या सदस्य को निलम्बित कर सकता है।

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य किसी सदस्य को राष्ट्रपति द्वारा निम्न आधारों पर भी हटाया जा सकता है-

(1) उसको दिवालिया घोषित कर देने पर।

(2) अपनी पदावधि में अपने पद के कर्तव्यों के बहार किसी सवेतन नियोजन में लगने पर।

(3) राष्ट्रपति यह समझता है कि वह मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण पद का कार्य करने के लिए अयोग्य हो जाने पर।

आयोग की सांगठनिक संरचना-

राज्य लोक सेवा आयोग को 6 संभागों में बाँटा गया है-

(1) प्रशासनिक संभाग-

इस संभाग को संस्थापन व निरिक्षण विभागों में बाँटा गया है। संस्थापन विभाग सभी अधिकारीयों तथा कर्मचारियों की सेवा शर्तें निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी है, जबकि निरिक्षण विभाग का कार्य है- सुरक्षा व्यवस्था, आपूर्ति, भण्डार की देखभाल, रिकॉर्ड की व्यवस्था आदि।

(2) भर्ती संभाग-

विभिन्न पदों के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं के आवेदन पत्र को प्राप्त करना, तत्संबंधी रिकॉर्ड रखना, परीक्षा की कार्यवाही करना तथा साक्षात्कार परिणाम तैयार करना इसी संभाग का दायित्व है। विभागीय पदोन्नति भी इसी का कार्य है।

(3) परीक्षा संभाग-

यह संभाग सभी प्रकार के परीक्षा संबंधी कार्यों के कुशलतापूर्वक संचालन के लिए उत्तरदायी होता है।

(4) लेखा संभाग-

इस संभाग का प्रमुख कार्य बजट बनाना तथा आय-व्यय के खाते संधारित करना है।

(5) विधि संभाग-

विभिन्न विवादों में क़ानूनी कार्यवाही, अपील इत्यादि का कार्य यही विभाग करता है।

(6) शोध संभाग-

यह विभाग भर्ती एवं परीक्षा प्रक्रिया से संबंधी शोध कार्य व सुधार हेतु सुझाव देने के लिए यह संभाग स्थापित किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग की वेबसाइट देखने के लिए यहाँ Click करें।

प्रातिक्रिया दे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.