व्यक्तित्व का मापन विधियाँ

व्यक्तित्व का मापन: अन्तरंग, बहिरंग, प्रक्षेपण व मनोविश्लेषण विधियाँ

व्यक्तित्व का मापन करना एक कठिन कार्य है। व्यक्तित्व मापन के लिए अनेक विधियाँ उपयोग में ली जाती है। लेकिन इन विधियों को प्रमाणित नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि व्यक्ति एक मनो-शारीरिक प्राणी है, जिसका व्यक्तित्व समयानुसार परिवर्तित होता रहता है।

व्यक्तित्व मापन की प्रमुख विधियाँ

मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व के मापन हेतु जिन विधियों का निर्माण किया है, उन्हें निम्नानुसार चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. अंतरंग विधियाँ | Subjective Methods
  2. बहिरंग विधियाँ | Objective Methods
  3. प्रक्षेपण विधियाँ | Projective Methods
  4. मनोविश्लेषण विधियाँ | Psycho-analytic Methods

अंतरंग विधियाँ | Subjective Methods

आत्म चरित्र लेखन | Autobiography – इस विधि में परिक्षक व्यक्ति को अपनी आत्मकथा को कुछ शीर्षकों के आधार पर लिखना होता है। व्यक्ति इन शीर्षकों के आधार पर लिखने के लिए पूर्ण स्वतन्त्र होता है। व्यक्ति द्वारा लिखित आत्म चरित्र अथवा कथा प्रभावी नहीं कही जा सकती है। क्योंकि लिखते समय वह कुछ तथ्य छुपा सकता है तथा भूल भी सकता है। यह विधि प्रामाणिक नहीं है।

व्यक्ति इतिहास विधि | Case History Method – इस विधि में व्यक्ति के बाद उसके माता-पिता, भाई-बहिन, सम्बन्धी, पड़ोसी, मित्र आदि से व्यक्ति के बारे में जानकारी की जाती है। उसके जीवन से संबंधित प्रश्नों की जानकारी कर उसका इतिहास जाना जाता है। इस इतिहास के खण्ड होते हैं – (1) वर्तमान कालीन विवरण, (2) भूतकालीन विवरण व (3) भावी सम्भावनाएँ। इन सूचनाओं के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्नावली विधि | Questionaire Method – इस विधि में व्यक्ति से संबंधित कुछ प्रश्न बनाए जाते हैं, जो वस्तुनिष्ठ होते है। उनका उत्तर व्यक्ति से हाँ अथवा ना में प्राप्त किया जाता है। इसके आधार पर व्यक्ति के अन्तर्मुखी अथवा बहिर्मुखी होने की जाँच की जाती है। प्रश्नावली के उत्तर प्राप्त होने पर, विश्लेषण के आधार पर व्यक्ति की रुची, क्षमता, योग्यता आदि का पता लगाया जाता है।

साक्षात्कार विधि | Interview – इस विधि में मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इस विधि की सफलता साक्षात्कार लेने वाले की प्रवीणता पर निर्भर करती है। व्यक्ति के सामान्य-ज्ञान, रुचियों आदि का पता लगाया जा सकता है।

व्यक्तित्व का मापन विधियाँ

बहिरंग विधियाँ | Objective Methods

निरिक्षण पद्धति | Observation Method – इस विधि द्वारा प्रयोगकर्त्ता व्यक्ति के आचरण का निरिक्षण करता है। निरिक्षण कार्य करते समय व्यक्ति को पूर्णतः अनभिज्ञ रखा जाता है। व्यक्ति का निरिक्षण अलग-अलग समय तथा अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है। यह विधि वस्तुनिष्ठ न होकर आत्मनिष्ठ है।

मापन रेखा विधि – इस विधि के द्वारा व्यक्ति के गुणों की जाँच की जाती है तथा जाँच के आधार पर अंक प्रदान किए जाते हैं। प्रयोगकर्त्ता व्यक्ति के जिस गुण की जाँच करना चाहता है, उसे रेखा के माध्यम से अनेक भागों में विभाजित कर दिया जाता है। किसी एक भाग पर जिससे उस गुण के बाते में मालूम किया जा रहा है, निशान लगा देता है और उसके आधार पर उसे अंक दिए जाते हैं। यह मापन चार, पाँच अथवा कम या अधिक भागों में विभाजित हो सकता है।

समाजमिति | Sociogram – इस विधि में व्यक्ति की सामाजिकता की जाँच की जाती है। जिस समूह में व्यक्ति रहता है, उसके समस्त सदस्यों की एक प्रश्नावली पर चिह्न लगाने को कहा जाता है। उसके आधार पर जो तथ्य एकत्रित होते हैं, उनके आधार पर उसके पारस्परिक संबंधों की जाँच की जाती है और उसके व्यक्तित्व का पता लगाया जाता है।

शारीरिक परीक्षण | Physiological Test – इस विधि में अनेक यंत्रों की सहायता से व्यक्तित्व के शारीरिक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है –

  • प्लैंथीसोमोग्राफी – इस यंत्र के द्वारा रक्त का दबाव समझा जाता है।
  • इलेक्ट्रो-कार्डियोग्राफी – इस यंत्र से व्यक्ति के हृदय की गति का पता लगाया जाता है।
  • स्फीग्मोग्राफ – इस यंत्र की सहायता से नाड़ी की गति का पता लगाया जाता है।
  • न्यूमोग्राफी – इस यंत्र की सहायता से सांस लेने की क्रिया का अध्ययन किया जाता है।
  • साइको-गलवानो-मीटर – इस यंत्र की सहायता से त्वचा के रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

व्यक्तित्व का मापन विधियाँ

प्रक्षेपण विधियाँ | Projective Methods

शब्द साहचर्य विधि | Word Association Method – इस परीक्षण विधि में लगभग 50 से 100 तक उद्दीपन शब्द प्रयोग में लिए जाते हैं।

परीक्षण-कर्त्ता एक शब्द बोलता है।

व्यक्ति इच्छानुसार इस शब्द को सुनकर जो मुँह में आता है, बोलता है।

परीक्षणकर्त्ता परीक्षार्थी द्वारा बोले हुए शब्दों तथा प्रत्येक शब्द के प्रतिक्रिया काल को अंकित करता रहता है।

तत्पश्चात उन शब्दों एवं समय की व्याख्या के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है।

युंग, गिल, रेपैपोर्ट आदि ने इस क्षेत्र में विस्तृत कार्य किया है।

मनोविज्ञान शाला-उत्तरप्रदेश, इलाहाबाद ने एक 53 शब्दों के शब्द साहचर्य परीक्षण का हिंदी में मानकीकरण किया जिसका प्रयोग व्यक्ति को शैक्षिक, व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत क्षेत्रों में निर्देशन प्रदान करने में किया जाता है।

वाक्य पूर्ति | Sentence Completion – इस विधि में बालक/व्यक्ति के सम्मुख अधूरा वाक्य या वाक्यांश प्रस्तुत किया जाता है।

बालक इस वाक्यांश के आधार पर वाक्य बनाता है।

शनैः-शनैः वाक्यों को सम्मिलित रूप देकर कहानी का भी निर्माण किया जा सकता है।

इस वाक्यों के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है।

इस क्षेत्र में रोडे, पैनी और हिल्ड्रेथ द्वारा किए गए परीक्षण अति प्रसिद्ध हैं।

इसके माध्यम से व्यक्ति की आकांक्षा, आवश्यकता, इच्छा, रुचि, समायोजन आदि का ज्ञान होता है।

खेल प्रणाली | Play Technique – व्यक्तित्व को समझने हेतु खेल प्रणाली का प्रयोग भी अत्यन्त उपयोगी होती है।

खेल प्रणाली के माध्यम से बच्चों एवं वयस्कों को अपनी भावनाओं तथा समस्याओं का भलीभांति प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है।

बालक किस प्रकार के खिलौने से खेलता है या व्यक्ति को कौन-कौन से खेल पसन्द हैं,

उनके साथ वह किस प्रकार तादात्मीकरण करता है तथा अपनी आतंरिक भावनाओं को किस प्रकार प्रक्षेपण करता है, आदि के आधार पर इसके व्यक्तित्व का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

बच्चों के व्यक्तित्व व मापन की यह सर्वश्रेष्ठ एवं अत्यधिक उपयोगी विधि है।

रोर्शा इंक ब्लॉट परीक्षण | Rorschach Ink Blot Test –

इस परीक्षण का निर्माण हरमैन रोर्शा ने सन 1921 में किया था।

यह व्यक्तित्व के मापन की प्रसिद्ध तथा उपयोगी विधि है।

श्री रोर्शा ने इसका परीक्षण मानसिक रोगियों पर किया।

इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं, जिनमें स्याही के धब्बे चित्रित होते हैं।

इन 10 कार्डों में 5 कार्डों के धब्बे काले भूरे होते हैं,

दो कार्डों में काले भूरे के अलावा लाल रंग के भी धब्बे होते हैं एवं

बाकी तीन में अनेक रंग के काले धब्बे होते हैं।

प्रसंगात्मक बोध परीक्षण | Thematic Apperception Test (T.A.T.) –

इस परीक्षण के निर्माण का श्रेय मॉर्गन और मुरे को है,

जिन्होंने 1935 ई. में इस विधि को प्रकाशित किया।

इस विधि में कुल मिलाकर 30 चित्र हैं जिनमें 10 पुरुषों के लिए, 10 स्रियों के लिए, तथा 10 दोनों के लिए।

इस तरह जब किसी व्यक्ति पर इसका प्रयोग किया जाता है,

तो 20 चित्रों को काम में लाया जाता है जिनमें से एक रिक्त कार्ड भी रहता है।

सी.ए.टी. | Children Apperception Test –

यह जाँच-पत्र बालकों के लिए उपयोगी है।

इसका निर्माण डॉ.अर्नेस्ट क्रिस ने किया।

इसका हिंदी में पूरा नाम ‘बाल संस्करण परीक्षण’ है।

बाद में, इस परीक्षण-पत्र का विकास लियोपोल्ड ब्लैक एवं सोरल ब्लैक ने किया।

इसे T.A.T. के समान ही क्रियान्वित किया जाता है।

इसमें पशुओं के दस चित्र होते हैं और ये सभी पशु विदेशी हैं।

इसलिए इसका प्रयोग भारतीय बच्चों पर नहीं किया जा सकता है और यह भारतीय वातावरण के अनुकूल भी नहीं है।

मनोविश्लेषण विधियाँ | Psycho-analytic Methods

मनोविश्लेषणात्मक विधि का जन्मदाता फ्रायड को माना जाता है।

फ्रायड के मतानुसार मस्तिष्क के तीन भाग हैं – (1) चेतन, (2) अर्द्ध चेतन, (3) अचेतन।

स्वतन्त्र साहचर्य विधि | Free Association Method – इस विधि के द्वारा परीक्षणकर्त्ता जिस व्यक्ति का परीक्षण करता है, उसे आराम से बिठा देता है।

ऐसा मनोवैज्ञानिक वातावरण तैयार करता है कि व्यक्ति सम्मोहन (अर्द्ध-मूर्छित अवस्था) में आ जाता है।

चेतन पर से उसका नियंत्रण समाप्त हो जाता है।

परीक्षक उससे प्रश्न करता है और वह अचेतन के माध्यम से ऐसे प्रश्नों का भी सही उत्तर दे देता है, जिन्हें यदि चेतन अवस्था में पूछा जाता है, तो संभवतः वह उत्तर नहीं देता है।

व्यक्ति के उत्तरों का परीक्षक विश्लेषण करता है और उनके आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का मापन किया जाता है।

स्वप्न विशलेषण विधि | Dream Analysis Method – इस विधि के माध्यम से व्यक्ति के स्वप्नों का विश्लेषण करके मनो-विश्लेषक उसके अचेतन मन में दमित इच्छाओं और आकांक्षाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करता है और उसका उपचार करता है।

यह विधि मनोरोगों की चिकित्सा में अति-लाभप्रद है।

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