अध्याय 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ | प्रश्नोत्तर | सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन – 3
इस पोस्ट में NCERT द्वारा जारी नए पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान विषय की सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-3 किताब के अध्याय 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ सभी प्रश्नों को हल किया गया है। उम्मीद करते है की आपके लिए उपयोगी होंगे।
अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची बनाइए। आप विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा विभिन्न पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार के धार्मिक संगीत और गायन आदि को देख सकते हैं। क्या इससे धार्मिंक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता का पता चलता है?
उत्तर – (नोट – विद्यार्थी अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची खुद बनाने का प्रयास करें। क्योंकि यह अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग हो सकती है। ये धार्मिक क्रियाकलाप पूजा-अर्चना, प्रार्थनाओं, अनुष्ठानों, धार्मिक संगीत, गायन, त्यौहारों के रूप में बताए जा सकते है।)
भारत में अनेक प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा, विभिन्न पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार के धार्मिक संगीत व गायन आदि को देखने से यह स्पष्ट होता है कि यहाँ धार्मिक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता है। सभी धर्म के लोग शांतिपूर्वक तरीके से पूजा-पाठ, इबादत अपने-अपने तरीके से करने के लिए स्वत्रंत होते हैं। राज्य इनकी गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करता है। सभी धर्मो को समान दृष्टि से देखता है।
प्रश्न 2 अगर किसी धर्म के लोग यह कहते हैं कि उनका धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छुट देता है तो क्या सरकार किसी तरह का दखल देगी या नहीं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइए।
उत्तर – भारतीय धर्मनिरपेक्षता के तहत राज्य को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की भी छुट दी गई है। धर्म से राज्य का फालसा सैद्धांतिक है। संविधान में दिए गए आदर्शों व मूल अधिकारों की रक्षा के आधार पर राज्य किसी भी धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। अगर कोई धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छुट देता है, तो यह व्यक्ति के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है। इस स्थिति में संविधान के आदर्शो व जीवन के अधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर नवजात शिशुओं को मारने को रोकने की कार्यवाही कर सकता है।
अध्याय 1 भारतीय संविधान सभी प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 3 इस तालिका को पूरा कीजिए –
उद्देश्य | यह महत्त्वपूर्ण क्यों है? | इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण |
एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर वर्चस्व नहीं रखता | ||
राज्य न तो किसी धर्म को थोपना है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है | ||
एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ |
उत्तर –
उद्देश्य | यह महत्त्वपूर्ण क्यों है? | इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण |
एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर वर्चस्व नहीं रखता | इससे बहुमत की निरंकुशता व उसके कारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा। | यहूदी धर्म को मानने वाले इजरायल में मुस्लिम व ईसाई अल्प-संख्यकों के साथ बुरा व्यवहार किया जाना। |
राज्य न तो किसी धर्म को थोपना है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है | सभी धर्मो के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना। | सऊदी अरब में गैर-मुस्लिमों को मन्दिर या गिरिजाघर बनाने की छुट नहीं दी जाती। |
एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के दूसरे लोगों को न दबाएँ | सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों का राज्य द्वारा आश्वासन देना। | समाज की प्रभुत्वशाली जातियों द्वारा दलितों के हितों को दबाना। |
अध्याय 8 राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन 1870 के दशक से 1947 तक सभी प्रश्नोत्तर हल
प्रश्न 4 अपने स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेंडर को देखिए। उनमें से कितनी छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं? इससे क्या संकेत मिलता है?
उत्तर – हमारे स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेंडर में लगभग 28 छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं। इससे हमें निम्न संकेत मिलता है –
(1) भारत वास्तविक अर्थों में एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
(2) भारत में सभी धर्मों को समानता प्रदान की गई है।
(3) यहाँ सभी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाता है तथा उन्हें अपने धार्मिंक क्रियाकलापों को करने की छुट दी गई है।
प्रश्न 5 एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के कुछ उदाहरण दें?
उत्तर – एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के उदाहरण –
(1) हिन्दुओं में बहुत से लोग जातिप्रथा आदि का विरोध करते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो उसे सही ठहराते है।
(2) मुसलमानों में प्रगतिशील लोग महिलाओं की शिक्षा, स्वतंत्रता व समानता के अधिकार के पक्षधर हैं
तो रूढ़िवादी लोग इसका विरोध करते है।
(3) इसी प्रकार हिन्दुओं में शैव, वैष्णव; मुसलमानों में शिया, शुन्नी; जैनियों में श्वेताम्बर, दिगम्बर: बौद्धों में हीनयान, महायान; सिक्खों में केशधारी, नामधारी तथा ईसाइयों में कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट दृष्टिकोण वाले लोग मिलते है।
अध्याय 7 महिलाएँ जाति एवं सुधार NCERT किताब प्रश्नोत्तर
प्रश्न 6 भारतीय राज्य धर्म से फासला भी रखता है और उसमें हस्तक्षेप भी करता है। यह उलझाने वाला विचार लग सकता है। इस पर कक्षा में एक बार फिर चर्चा कीजिए। चर्चा के लिए इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के अलावा आप अपनी जानकारी के अन्य उदाहरणों का भी सहारा ले सकते हैं।
उत्तर – भारतीय राज्य धर्म से फासला रखता है –
भारतीय राज्य खुद को धर्म से दूर रखता है।
राज्य न तो किसी विशेष धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनेगा।
भारतीय राज्य की बागडोर न तो किसी एक धार्मिक समूह के हाथों में है और न ही किसी राज्य किसी एक धर्म को समर्थन देता है। भारत में कचहरी, पुलिस स्टेशन, सरकारी विद्यालय व कार्यालयों जैसे सरकारी संस्थानों में किसी विशेष धर्म को प्रोत्साहन देने या उसका प्रदर्शन करने की अपेक्षा नहीं नहीं की जाती है।
इसके अलावा सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने व धार्मिक क्रियाकलापों में हस्तक्षेप न देने के लिए, राज्य कुछ धार्मिक समुदायों को कुछ विशेष छुट देता है।
उदाहरण के लिए, सिक्ख धर्म की प्रथाओं के अनुसार पगड़ी पहनना महत्वपूर्ण है।
फलतः इस धार्मिक आस्था में हस्तक्षेप से बचने के लिए राज्य ने कानून में यह रियायत दे दी है
कि सिक्खों को हैलमेट पहनने की जरूरत नहीं है।
भारतीय राज्य धर्म में हस्तक्षेप भी कर सकता है –
जब कोई धर्म संविधान में दिए गए आदर्शों, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो मूल अधिकारों के उल्लंघन को रोकने व नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देने के लिए राज्य धर्म में हस्तक्षेप कर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय संविधान ने छुआछूत पर पाबन्दी लगाई है। इसी प्रकार माता-पिता की सम्पत्ति में बराबर हिस्से के अधिकार का सम्मान करने के लिए राज्य को समुदायों के धर्म पर आधारित ‘निजी कानूनों’ में ही हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
राज्य का हस्तक्षेप सहायता के रूप में भी हो सकता है।
अध्याय 6 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
प्रश्न 7 पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ संख्या 27 में दिए गए पोस्टर ‘शांति’ के महत्त्व को रेखांकित करता है। इस पोस्टर में कहा गया है कि “शांति कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है… यह हमारी आपसी भिन्नताओं और साझा हितों को नजरअंदाज करके नहीं चल सकती।” ये वाक्य क्या बताते हैं? अपने शब्दों में लिखिए। धार्मिक सहिष्णुता से इसका क्या संबंध है?
उत्तर – इस पोस्टर के वाक्य यह बताते हैं की शांति तभी स्थापित की जा सकती है जब आपसी विभिन्नताओं व साझा हितों को ध्यान में रखें। यदि हम एक-दुसर के हितों के प्रति सहिष्णुता का व्यवहार करेंगे तो शांति अपने आप स्थापित होने लगेगी और
यदि हम एक-दूसरे की भिन्नताओं व हितों को नजरअंदाज करेंगे तो इससे शांति भंग होगी।
धार्मिक सहिष्णुता भी शांति स्थापना का एक रास्ता है।
इसके अंतर्गत सभी धर्मो के लोग एक-दूसरे के धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखते हैं
और सर्वधर्म समभाव के दृष्टिकोण का पालन करते हैं।
अतः धार्मिक सहिष्णुता का शांति के साथ सकारात्मक संबंध है।
अध्याय 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ FAQ’s
धर्म को राज्य से अलग रखने की अवधारणा, धर्मनिरपेक्षता कहलाती है.
ये भी पढ़ें – OnePlus 11 5G Specifications