अध्याय 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण प्रश्नोत्तर | सामाजिक विज्ञान
इस पोस्ट में हमने NCERT के नए पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान विषय की सामाजिक व राजनीतिक विज्ञान किताब के अध्याय 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण के सभी प्रश्नों को हल किया है। उम्मीद करते है कि आपके लिए उपयोगी होंगे।
प्रश्न 1 राष्ट्रवादी आंदोलन ने इस विचार का समर्थन किया कि सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार होना चाहिए?
उत्तर – औपनिवेशिक शासन के अनुभव और राष्ट्रवादी आंदोलन में तरह-तरह के लोगों की हिस्सेदारी के आधार पर राष्ट्रवादियों को विश्वास हो गया था कि स्वतंत्र भारत में सभी नागरिक अपने जीवन को प्रभावित करने वाले फैसलों में हिस्सा लेने की क्षमता रखते हैं। इस आधार पर राष्ट्रवादी आंदोलन ने इस विचार का समर्थन किया कि सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार होना चाहिए।
प्रश्न 2 पाठ्यपुस्तक में पृष्ठ संख्या 45 पर 2004 के संसदीय चुनाव क्षेत्रों का नक्शा दिया गया है। इस नक्शे में अपने राज्य के चुनाव क्षेत्रों को पहचानने का प्रयास करें। आपके चुनाव क्षेत्र के सांसद का क्या नाम है? आपके राज्य से संसद में कितने सांसद जाते हैं? कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को हरे और कुछ को नीले रंग में क्यों दिखाया गया है?
उत्तर – प्रश्न में दिए गए मानचित्र में अपने राज्य के चुनाव क्षेत्रों की पहचान छात्र शिक्षक की सहायता से करें।
हमारे चुनाव क्षेत्र के सांसद का नाम श्री हनुमान बेनीवाल है। (नोट- विद्यार्थी अपने चुनाव क्षेत्र के सांसद का नाम लिखे।)
हमारे राज्य से संसद में 25 सांसद जाते है। (यह राजस्थान राज्य की संख्या है अगर आप किसी दूसरे राज्य से है तो अपने राज्य के सांसदों की संख्या लिखे।)
अनुसूचित जाति के निर्वाचन क्षेत्रों को नीले रंग में व अनुसूचित जनजाति के निर्वाचन क्षेत्रों को हरे रंग में दिखाया गया है।
अध्याय 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ पाठ के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 3 अध्याय 1 में आपने पढ़ा था कि भारत में प्रचलित ‘संसदीय शासन व्यवस्था’ में तीन स्तर होते हैं। इनमें से एक स्तर संसद (केंद्र सरकार) तथा दूसरा स्तर विभिन्न राज्य विधायिकाओं (राज्य सरकारों) का होता है। अपने क्षेत्र के विभिन्न प्रतिनिधियों से संबंधित सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित तालिका को भरें –
राज्य सरकार | केंद्र सरकार | |
कौन सा/से राजनीतिक दल अभी सत्ता में है/हैं? | ||
आपके क्षेत्र से निर्वाचित प्रतिनिधि कौन है? | ||
अभि कौन सा राजनीतिक दल विपक्ष में है? | ||
पिछले चुनाव कब हुए थे? | ||
अगले चुनाव कब होंगे? | ||
आपके राज्य से कितनी महिला प्रतिनिधि है? |
उत्तर –
राज्य सरकार | केंद्र सरकार | |
कौन सा/से राजनीतिक दल अभी सत्ता में है/हैं? | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | भारतीय जनता पार्टी |
आपके क्षेत्र से निर्वाचित प्रतिनिधि कौन है? | श्री मोहन लाल चौधरी (नोट: अपने-अपने क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधि की जानकारी अपने शिक्षक की सहायता से लिखे।) | श्री हनुमान बेनीवाल (नोट: अपने-अपने क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधि की जानकारी अपने शिक्षक की सहायता से लिखे।) |
अभी कौन सा राजनीतिक दल विपक्ष में है? | भारतीय जनता पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य सबसे ज्यादा |
पिछले चुनाव कब हुए थे? | 2018 में | 2019 में |
अगले चुनाव कब होंगे? | 2023 में | 2024 में |
आपके राज्य से कितनी महिला प्रतिनिधि है? | 27 | 3 |
अध्याय 1 भारतीय संविधान सभी प्रश्नों के हल
प्रश्न 4 घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर –
घरेलू हिंसा पर नए कानून के निर्माण की प्रक्रिया –
1990 के दशक में विभिन्न मंचों से घरेलू हिंसा को रोकने हेतु एक नए कानून की माँग उठने लगी क्योंकि महिलाओं ने विभिन्न मंचों को अपनी आपबीती सुनाई और इस बात पर जोर दिया कि वे मारपीट से बचाव चाहती हैं, वह अपने मकान में रहना चाहती हैं।
इससे निपटने के लिए एक नया नागरिक कानून होना चाहिए।
1999 में वकीलों, कानून के विद्यार्थियों व समाज वैज्ञानिकों के संगठन ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने राष्ट्रव्यापी चर्चा के बाद घरेलू हिंसा (रोकथाम एवं सुरक्षा) विधेयक का मसौदा तैयार किया। इसमें घरेलू हिंसा की परिभाषा में शारीरिक, आर्थिक, यौन व मौखिक तथा भावनात्मक दुर्व्यवहार को शामिल करने तथा साझा घरेलू दायरे में रहने वाली किसी भी महिला को इस नए कानून के तहत रखा गया।
इस पर चर्चा के लिए अलग-अलग संस्थानों के साथ बैठकें की गई तथा सरकार के सामने यह माँग रखी गई कि महिला आंदोलन घरेलू हिंसा पर एक नया कानून चाहता है। सरकार को यह प्रस्ताव जल्दी से जल्दी संसद में पेश करना चाहिए।
विधेयक का संसद में प्रस्तुतिकरण –
सन 2002 में घरेलू हिंसा विधेयक संसद में पेश कर दिया गया लेकिन इस विधेयक में उन बातों को शामिल नहीं किया गया जो सरकार को सुझाई गई थी। परिणामस्वरूप महिला संगठनो ने इस विधेयक का विरोध किया।
कई महिला संगठनों व राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसद की स्थायी समिति को अपने ये सुझाव भी सौंपे कि वर्तमान में प्रस्तावित विधेयक को बदलना आवश्यक है। वे घरेलू हिंसा की प्रस्तावित परिभाषा से सहमत नहीं हैं।
अध्याय 7 महिलाएँ जाति एवं सुधार प्रश्न के उत्तर
स्थायी समिति की सिफारिशें तथा नए विधेयक का प्रस्तुतिकरण एवं मंजूरी –
दिसम्बर, 2002 में स्थायी समिति ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा को सौंप दी। इन सिफारिशों को लोकसभा में भी प्रस्तुत किया गया। कमेटी की रिपोर्ट में महिला संगठनों की अधिकतर मांगों को स्वीकार कर लिया गया था।
2005 में संसद के सामने एक नया विधेयक पेश किया गया।
दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद विधेयक कानून बन गया।
2006 में घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून लागू हुआ।
इस कानून में महिलाओं के हिंसा रहित परिवार के अधिकार को मान्यता दी गई है और घरेलू हिंसा की एक व्यापक परिभाषा पेश की गई है।
अध्याय 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण FAQ,s
जनता द्वारा चूने गए लोकसभा के प्रतिनिधियों को सांसद कहा जाता है।