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भारतीय संविधान का निर्माण

भारतीय संविधान का निर्माण

भारतीय संविधान के निर्माण की प्रकिया के रूप में संविधान सभा के गठन का विचार 1934 ई. में पहली बार एम.एन.रॉय ने रखा।

कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवम्बर, 1946 ई. में संविधान सभा का गठन हुआ।

इस योजना के तहत संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी। इनमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत और 93 सीटें देसी रियासतों को आवंटित की जानी थीं।

भारतीय संविधान सभा का चुनाव जुलाई-अगस्त 1946 ई. में हुआ।

ब्रिटिश भारत के लिए आवंटित 296 सीटों के लिए हुए चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 तथा छोटे समूह व स्वतंत्र सदस्यों को 15 सीटों पर जीत मिली।

देसी रियासतों को आवंटित की गईं 93 सीटें भर नहीं पाई क्योंकि उन्होंने खुद को संविधान सभा से अलग रखने का निर्णय लिया।

संविधान सभा की कार्यप्रणाली –

9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। जिसमें केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया।

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को इस सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया जो सबसे वरिष्ठ सदस्य थे।

मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की मांग पर जोर दिया।

11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

डॉ. एच.सी.मुखर्जी व वी.टी.कृष्णामचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए।

उद्देश्य प्रस्ताव –

13 दिसम्बर, 1946 ई. को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया।

इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे व दर्शन की झलक थी।

इस प्रस्ताव को 22 जनवरी, 1946 ई. को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

इसने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया।

स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा परिवर्तन –

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने सभा की स्थिति में निम्न परिवर्तन किए –

  • सभा को सम्पूर्ण संप्रभु निकाय बनाया गया, जो स्वेच्छा से कोई भी संविधान बना सकती थी।
  • संविधान सभा एक विधायिका भी बन गई। संविधान सभा को दो काम सौंपे गए, जिसमें पहला था- स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाना और दूसरा था- देश के लिए आम कानून लागू करना।
  • जब भी सभा की वैठक संविधान सभा के रूप में होती, इसकी अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र प्रसाद करते और जब बैठक बतौर विधायिका होती तब इसकी अध्यक्षता जी.वी. मावलंकर करते थे।
  • संविधान सभा 26 नवम्बर, 1949 ई. तक इन दोनों रूपों में कार्य करती रही।
  • मुस्लिम लीग के सदस्यों के अलग होने के बाद भारतीय प्रांतों की संख्या 296 से 229 और देशी रियासतों की संख्या 93 से 70 कर दी गई।
अन्य कार्य –

संविधान का निर्माण और आम कानूनों को लागू करने के अलावा भारतीय संविधान सभा ने निम्नलिखित कार्य किए –

  • मई 1949 ई. को इसने राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया।
  • इसने 22 जुलाई, 1947 ई. को भारत के राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
  • 24 जनवरी, 1950 ई. को राष्ट्रीय गान व राष्ट्रीय गीत को अपनाया गया।
  • इसने 24 जनवरी, 1950 ई. को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना।

भारतीय संविधान का निर्माण 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिनों में हुआ और संविधान सभी की कुल 11 बैठकें हुई।

संविधान के निर्माण में 64 लाख रूपये खर्च हुए।

24 जनवरी, 1950 ई. को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई।

इसके बाद सभा ने 26 जनवरी, 1950 ई. से 1951-52 में हुए आम चुनावों के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत की अंतरिम संसद के रूप में काम किया।

संविधान सभा की समितियां –

बड़ी समितियां –
क्र.सं.समितिअक्ध्यक्ष
1.संघीय संविधान समितिजवाहरलाल नेहरू
2.संघ समितिजवाहरलाल नेहरू
3.प्रांतीय संविधान समितिसरदार पटेल
4.प्रारूप समितिडॉ. भीमराव अम्बेडकर
5.परामर्शदाता समितिसरदार पटेल
 i. मौलिक अधिकार उप-समितिजे.बी. कृपलानी
 ii. अल्पसंख्यक उप-समितिएच.सी. मुखर्जी
 iii. उत्तर-पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र असम को छोड़कर तथा आंशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्र के लिए उप-समितिगोपीनाथ बोर्दोलोई
 iv. छोड़े गए एवं आंशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्रों (असम में सिंचित क्षेत्रों के अलावा) के लिए उप-समितिए.वी. ठक्कर
 v. उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर जनजाति क्षेत्र उप-समिति 
6.प्रक्रिया नियम समितिडॉ. राजेंद्र प्रसाद
7.राज्यों के लिए समिति (राज्यों से समझौता करने वाली)जवाहरलाल नेहरू
8.संचालन समितिडॉ. राजेंद्र प्रसाद

प्रारूप समिति :–

यह समिति संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी।

प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 ई. को हुआ था।

नए संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी वाली इस समिति में सात सदस्य थे, जिनके नाम इस प्रकार हैं –

  1. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर (प्रारूप समिति के अध्यक्ष)
  2. एन. गोपालस्वामी आयंगर
  3. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
  4. डॉ. के.एम. मुंशी
  5. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
  6. एन. माधव राव (इन्होंने बी.एल.मित्र की जगह ली, जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से त्याग-पत्र दे दिया था)
  7. टी.टी. कृष्णामचारी (इन्होंने सन 1948 ई. में डी.पी. खेतान की मृत्यु के बाद उनकी जगह थी)

विभिन्न समितियों के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद प्रारूप समिति ने भारतीय संविधान का पहला प्रारूप निर्माण करके 1948 ई. में प्रकाशित किया गया।

भारत के लोगों को इस प्रारूप पर चर्चा करने और संशोधनों का प्रस्ताव देने के लिए 8 माह का समय दिया गया।

लोगों की शिकायतों, आलोचनाओं और सुझावों के परिपेक्ष्य में प्रारूप समिति ने दूसरा प्रारूप तैयार किया, जिसे अक्टूबर, 1948 ई. में प्रकाशित किया गया।

संविधान का प्रभाव में आना –

डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सभा में 4 नवम्बर, 1948 ई. को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया।

इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया।

जब तीसरी बार संविधान के प्रारूप पर विचार शुरू हुआ तब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने द कॉन्सटिट्यूशन ऐज सैटल्ड बाई द असेंबली बी पास्ड प्रताव पेश किया।

संविधान के प्रारूप पर पेश प्रस्ताव को 26 नवम्बर, 1949 ई. को पारित घोषित कर दिया गया और इस पर अध्यक्ष एवं सदस्यों ने हस्ताक्षर किए।

संविधान सभा के कुल 299 सदस्यों में से उस दिन उपस्थित 284 सदस्यों ने ही हस्ताक्षर किए।

26 नवम्बर, 1949 ई. को अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी।

संविधान का प्रवर्तन –

26 नवम्बर, 1949 ई. को नागरिकता, चुनाव, तदर्थ संसद, अस्थायी व परिवर्तनशील नियम तथा छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान अनुच्छेद स्वतः ही लागू हो गए।

संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू हुए। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।

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