You are currently viewing लोकायुक्त (राजस्थान)
लोकायुक्त (राजस्थान)

लोकायुक्त (राजस्थान)

लोकायुक्त (राजस्थान)

लोकायुक्त (राजस्थान)-

लोकपाल व लोकायुक्त संस्थान के प्रादुर्भाव का विचार स्वीडन के ओम्बुड्समैन संस्थान के आधार पर उत्पन्न हुआ।

स्वीडन विश्व का प्रथम देश है जिसने ओम्बड्समैन संस्था को वर्तमान स्वरुप में वर्ष 1809 में प्रारम्भ किया।

भारत में 5 जनवरी, 1966 में मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया।

राजस्थान में प्रशासनिक सुधार समिति (1963) की सिफारिश पर 28 अगस्त, 1973 को सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री आई.डी. दुआ को राजस्थान का प्रथम लोकायुक्त व श्री के.पी.यू. मेनन को 5 जून, 1973 को राज्य का प्रथम उपलोकायुक्त बनाया गया।

राष्ट्रीय स्तर पर लोकपाल व राज्य स्तर पर लोकायुक्त संस्था की स्थापना के लिए लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 (2014 का अधिनियम सं.1) संसद द्वारा पारित किया गया।

इस अधिनियम को 1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई।

भारत के राजपत्र में इसकी अधिसूचना 16 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई और इसी दिनांक को यह अधिनियम लागु हुआ।

राजस्थान में लोकायुक्त की नियुक्ति-

राजस्थान में लोकायुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व विधानसभा के नेता के परामर्श से की जाती है। जबकि उप लोकायुक्त की नियुक्ति लोकायुक्त से परामर्श से करता है।

कार्यकाल-

लोकायुक्त व उप लोकायुक्त का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष तक होता है।

वेतन-

लोकायुक्त का वेतन, भत्ते, पेंशन आदि राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बराबर हैं तथा उपलोकायुक्त के वेतन, भत्ते व पेंशन राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होंगे।

पद से हटाना-

लोकायुक्त को राज्यपाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के अनुसार कदाचार तथा पद का कार्य करने में अक्षमता आ जाने के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वर्तमान या सेवानिवृत्त) या राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से करवाई गई जाँच में दोषी साबित हो जाने पर पद से हटाया जा सकता है।

उपलोकायुक्त को पद से हटाने हेतु जाँच सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या राज्य उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाएगी।

लोकायुक्त का क्षेत्राधिकार-

लोकायुक्त के क्षेत्राधिकार का विस्तार निम्न को छोड़कर राजस्थान राज्य के समस्त लोकसेवकों पर हैं-

(1) भारत में किसी भी न्यायालय का कोई भी अधिकारी।

(2) मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश या न्यायिक सेवा का कोई भी सदस्य।

(3) राजस्थान का महालेखाकार।

(4) राज्य विधानसभा के सचिवालय स्टाप का कोई भी सदस्य।

(5) राजस्थान राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्त और प्रादेशिक आयुक्त तथा मुख्य निर्वाचन अधिकारी।

(6) राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या कोई सदस्य।

राजस्थान के लोकायुक्त से संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट को देखने के यहाँ क्लिक करें

प्रातिक्रिया दे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.