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मुख्यमंत्री chief minister

मुख्यमंत्री (Chief Minister)

मुख्यमंत्री (Chief Minister)

भारतीय संविधान द्वारा सरकार की संसदीय व्यवस्था में मुख्यमंत्री (Chief Minister) राज्य का वास्तविक प्रमुख होता है। राज्य के मुख्यमंत्री की स्थिति उसी प्रकार है, जिस प्रकार केंद्र में प्रधानमंत्री की।

मुख्यमंत्री की नियुक्ति-

संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। सामान्यतः राज्यपाल राज्य विधानसभा में बहुमत दल के नेता को ही इस पद पर नियुक्त करता है लेकिन यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसी स्थिति में राज्यपाल सबसे बड़े दल या दलों के समूह के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है और उसे एक महीने की अवधि में सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है।

योग्यता-

संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री को विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य होना आवश्यक है। सामान्यतः मुख्यमंत्री विधानसभा (निम्न सदन) से ही चुना जाता है लेकिन अनेक अवसरों पर विधानपरिषद (उच्च सदन) के सदस्य को भी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है। एक ऐसे व्यक्ति को जो राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं भी हो, छह माह के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान उसे राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित होना पड़ेगा, ऐसा नहीं होने पर उसका मुख्यमंत्री का पद स्वतः रिक्त हो जाता है।

शपथ-

मुख्यमंत्री को कार्य ग्रहण करने से पूर्व राज्यपाल पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।

कार्यकाल-

मुख्यमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। वह राज्यपाल के प्रसदापर्यंत अपने पद पर बना रहता है। सामान्यतः जब तक उसे विधानसभा में बहुमत प्राप्त है तब तक राज्यपाल द्वारा उसे बर्खास्त नहीं किया जा सकता। यदि मुख्यमंत्री विधानसभा में बहुमत खो देता है तो उसे त्याग पत्र दे देना चाहिए अन्यथा राज्यपाल उसे बर्खास्त कर सकता है।

त्यागपत्र-

मुख्यमंत्री राज्यपाल को संबोधित कर लिखित व हस्ताक्षरित अपना त्यागपत्र दे सकता है। उसके द्वारा पद त्याग करते ही समस्त मंत्रिपरिषद स्वतः ही समाप्त हो जाती है।

वेतन एवं भत्ते-

मुख्यमंत्री को मिलने वाले वेतन एवं भत्तों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है। राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदस्य को मिलने वाले वेतन भत्तों सहित उसे व्यय विषयक भत्ते, निःशुल्क आवास, यात्रा भत्ता और चिकित्सा सुविधाएँ आदि मिलती हैं।

मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां-

राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की स्थिति वही है जो केन्द्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री की है। मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर किया जा सकता है-

मंत्रिपरिषद के संदर्भ में-

मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद के मुखिया के रूप में निम्न शक्तियों का उपयोग करना है-

(1) राज्यपाल केवल उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त करता है, जिनकी सिफारिश मुख्यमंत्री ने की हो।

(2) वह मंत्रियों के विभागों का वितरण व फेरबदल करता है।

(3) मतभेद की स्थिति में वह किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है।

(4) मुख्यमंत्री (Chief Minister) मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता कर उसका संचालन करता है। वह वैठकों का स्थान, समय व मुद्दों का निर्णय करता है।

(5) 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 की निर्धारित सीमा के अनुसार मंत्रिपरिषद के आकार का निर्धारण भी मुख्यमंत्री ही करता है।

(6) वह सभी मंत्रियों के कार्यों में सहयोग, नियंत्रण, निर्देशन, समन्वय और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

(7) मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर मंत्रिपरिषद का विघटन कर सकता है।

राज्यपाल के संबंध में-

(1) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार मुख्यमंत्री राज्यपाल व मंत्रिपरिषद के मध्य कड़ी का कार्य करता है।

(2) मुख्यमंत्री (Chief Minister) मंत्रीमंडल में लिए गए सभी निर्णयों की सूचना राज्यपाल को देता है।

(3) किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने निश्चित कर दिया है किन्तु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया हो, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखता है।

(4) वह महत्वपूर्ण अधिकारीयों जैसे महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों, राज्य निर्वाचन आयुक्त और विश्वविद्यालयों के कुलपति आदि की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को सलाह देता है।

(5) राज्यपाल के अपने विवेक के कार्यों को छोड़कर अन्य सब कार्यों में राज्यपाल को परामर्श देना मुख्यमंत्री का अधिकार व कर्तव्य है।

राज्य विधानमंडल के संबंध-

(1) मुख्यमंत्री राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने की सलाह देता है।

(2) वह राज्यपाल से किसी भी समय विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकता है।

(3) वह सदन के पटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा कर सकता है।

अन्य शक्तियां एवं कार्य-

(1) मुख्यमंत्री (Chief Minister) राज्य आयोजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है।

(2) वह अंतरराज्यीय परिषद एवं राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य होता है।

(3) मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। वह समय-समय पर सरकार की विभिन्न नीतियों को स्पष्ट करता है।

(4) आपातकाल के समय वह राजनीतिक स्तर पर मुख्य प्रबंधक होता है।

(5) राज्य का मुखिया होने के नाते वह जनता के विभिन्न वर्गों से मिलता है और उनसे उनकी समस्याओं आदि के संबंध में ज्ञापन प्राप्त करता है।

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