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राजस्थान का लोक संगीत

राजस्थान का लोक संगीत

राजस्थान का लोक संगीत

राजस्थान का लोक संगीत- संगीत में घराने का अर्थ किसी विशिष्ट गुरु परम्परा से होता है। घराना गुरु व शिष्यों के सहयोग से बनता है जो एक विशेष प्रकार की गायन या वादन शैली या नृत्य शैली का सूचक होता है। संगीत में घराना प्रणाली तानसेन के वंश से प्रारम्भ हुई मानी जाती है।

गायन व वादन के प्रमुख संगीत घराने निम्नानुसार हैं-
क्र.सं.घरानाप्रवर्तकविशेषताएँ
1.जयपुर घरानामनरंग (भूपत खां)ख्याल गायन शैली का घराना है। मुहम्मद अली खां कोठी वाले इस घराने के प्रसिद्ध संगीतज्ञ हुए हैं।
2.पटियाला घरानाफ़तेह अली व अली बख्शयह जयपुर घराने की उपशाखा है।
3.बीनकार घराना (जयपुर)रज्जब अली बीनकाररज्जब अली जयपुर के महाराजा रामसिंह के दरबार में प्रसिद्ध बीनकार थे।
4.मेवाती घरानाउस्ताद घग्घे नजीर खांइन्होंने जयपुर की ख्याल गायकी को ही अपनी विशिष्ट शैली में विकसित कर यह घराना प्रारम्भ किया।
5.डागर घरानाबहराम खां डागरमहाराजा रामसिंह के दरबारी गायक
6.सेनिया घराना (जयपुर)तानसेन के पुत्र सूरत सेनयह सितारियों का घराना है। इस घराने के गायक ध्रुपद की गौहर वाणी व खण्डारवाणी में सिद्धहस्त थे।
7.रंगीला घरानारमजान खां ‘मियाँ रंगीले’मियाँ रंगीले जोधपुर के गायक इमाम बख्श के शिष्यथे।
8.जयपुर का कथक घरानाभानूजीउत्तर भारत के प्रसिद्ध शास्रीय नृत्य कथक का उद्भव राजस्थान में 13वीं सदी में हुआ माना जाता है।

राजस्थान के प्रमुख संगीतज्ञ-

सवाई प्रताप सिंह –

जयपुर नरेश सवाई प्रताप सिंह संगीत व चित्रकला के प्रकाण्ड विद्वान व आश्रयदाता थे। इनके दरबार में बाईस प्रसिद्ध संगीतज्ञों व विद्वानों की मंडली ‘गन्धर्व बाईसी’ थी।

महाराजा अनूपसिंह –

बीकानेर शासक महाराजा अनूपसिंह एक विद्यानुरागी व विद्वान संगीतज्ञ थे। औरंगजेब की कट्टर नीति के कारण शाही दरबारी संगीतज्ञ इनके आश्रय में आ गए।

पं. उदयशंकर –

उदयपुर में जन्मे श्री उदयशंकर प्रख्यात कथक व बेले नर्तक रहे हैं।

पं. विश्वमोहन भट्ट –

ये जयपुर के विश्व प्रसिद्ध सितारवादक है। इन्होंने एक नई राग ‘गौरिम्मा’ का सृजन किया है। पं. विश्वमोहन भट्ट ने पश्चिमी गिटार में 14 तार जोड़कर इसे ‘मोहनविणा’ का रूप दिया है जो विणा, सरोद व सितार का सम्मिश्रण है।

बन्नो बेगम –

ये जयपुर की प्रसिद्ध मांड गायिका है। जो जयपुर की प्रसिद्ध गायिका एवं नर्तकी गौहर जान की पुत्री हैं।

राजस्थान की लोक कलाएँ

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