गुरु जम्भेश्वर भगवान (जाम्भोजी)
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जाम्भोजी का जीवन परिचय –
बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर भगवान (जाम्भोजी) का जन्म पंवार राजपूत परिवार में सन् 1451 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था।
इनका जन्म स्थान गाँव-पीपासर, जिला-नागौर,राजस्थान हैं ।
इनका मूल नाम धनराज था तथा इनको विष्णु या कृष्ण का अवतार माना जाता है ।
इनके पिताजी लोहट जी पंवार तथा माता हंसा कंवर देवी (ऐचरी) थे ।
गुरु जम्भेश्वर अपने माता-पिता की एकमात्र संतान थे। जाम्भोजी अपने जीवन के शुरुआती 7 वर्षों तक मौन रहे।
माता-पिता की इच्छा के अनुसार इन्होंने 27 वर्ष तक गौपालन किया।
नाम | श्री गुरु जम्भेश्वर (जाम्भोजी) |
मूल नाम | धनराज |
जन्म दिवस | विक्रम संवत 1508 (1451 ईस्वी) भाद्रपद बदी अष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी) |
जन्म स्थान | गाँव – पीपासर, जिला – नागौर, राजस्थान |
माताजी | हंसा दे |
पिताजी | लोहत जी पंवार |
मूल मंत्र | विष्णु-विष्णु तु भण रे प्राणी |
प्रमुख मन्दिर-स्थान | पीपासर (जन्म), समराथल (बिश्नोई पंथ स्थापना), मुक्ति धाम मुकाम (समाधि), रोटू, लालासर, जांगलू, लोदीपुर (UP) |
सम्प्रदाय/पंथ | बिश्नोई |
धर्म | हिन्दू |
रचित ग्रंथ | जम्भ संहिता, जम्भ सागर शब्दावली, बिश्नोई धर्म प्रकाश |
नियम | 29 नियम (20+9 बीस +नो = बिश्नोई) |
प्रसिद्धि का कारण | पर्यावरण प्रेमी (सीर साठे रुंख रहे तो भी सस्तो जाण) |
निर्वाण | 1526 ई. |
जीवन काल | 85 वर्ष |
प्रमुख मेलें | मुकाम में आश्विन व फाल्गुन मास की अमावस्या को |
बिश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना –
गुरु जम्भेश्वर भगवान ने 34 वर्ष की आयु में समराथल धोरा नामक स्थान पर (कंकेडी के वृक्ष की छाया में) बिश्नोई संप्रदाय (सन 1485) की स्थापना की थी।
बिश्नोई समाज को ग्रहण करने वाले प्रथम व्यक्ति पुल्होजी पंवार थे।
वे हमेशा पेड़ पौधों व जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे ।
इन्होंने शब्दवाणी के माध्यम से संदेश दिए थे , शब्दवाणी में 120 शब्द है।
बिश्नोई संप्रदाय के लोग 29 धर्मादेश (नियमों) का पालन करते है ये नियम गुरु जम्भेश्वर भगवान ने ही दिए थे।
‘बिश’ का मतलब 20 और ‘नोई’ का मतलब 9 होता है इनको मिलाने पर 29 होते है- बिश+नोई=बिश्नोई।
बिश्नोई सम्प्रदाय के प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ –
जाम्भोजी के धर्मादेशो का संकलन जम्भ संहिता, जम्भ सागर और बिश्नोई धर्म प्रकाश आदि ग्रंथों में किया गया हैं ।
विश्नोई सम्प्रदाय के प्रमुख धार्मिक स्थल –
जाम्भोजी से संबंधित प्रमुख स्थल पीपासर, रोटू (नागौर), समराथल अथवा धोक धोरा, मुकाम, लालासर, जांगलू (बीकानेर),जाम्भा (जोधपुर), लोदीपुर (उतरप्रदेश) हैं ।
बिश्नोई समाज का सबसे बड़ा मेला बीकानेर जिले के नोखा तहसील के मुकाम(तालवा) गाँव में वर्ष में दो बार फाल्गुन मास व आसोज माह में भरता है ।
गुरु जम्भेश्वर भगवान (जाम्भोजी) ने 1526 ई. में त्रयोदशी के दिन गाँव मुकाम (बीकानेर) में समाधि ली ।
अन्य महत्वपूर्ण बातें –
बिश्नोई पंथ के लोग खेजड़ी को अपना पवित्र पेड़ मानते हैं।
पर्यावरण रक्षार्थ प्रथम बलिदान कर्मा व गौरा नामक महिलाओं ने दिया। इसके बाद पोलावास गाँव के विलोजी ने पर्यावरण की रक्षा में बलिदान दिया ।
बिश्नोई सम्प्रदाय में हवन को महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्नोई पंथ के लोग अपने प्रत्येक संस्कार में हवन व पाहल को अनिवार्य मानते हैं।
खेजड़ली का बलिदान –
- राजस्थान के जोधपुर ज़िले में जोधपुर शहर से 26 किलोमीटर दूर स्थित खेजड़ली गाँव है।
- सन् 1730 में इस गांव में खेजड़ी को बचाने के लिए अमृता देवी तथा कुल 363 लोगों ने बलिदान दिया था।
- यह चिपको आंदोलन की पहली घटना थी जिसमें पेड़ों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया गया।
- आज भी विश्नोई समाज पेङ पौधों व वन्य जीवों की रक्षा के लिए तत्पर हैं ।
- मुकाम-तालवा में प्रत्येक वर्ष दो बार आश्विन व फाल्गुन मास की अमावस्या को विशाल मेला भरता है।
बिश्नोई समाज के 29 नियम –
1.30 दिन सूतक मानना (बाल जन्म पर 30 दिन सूतक) ।
2.पांच दिन ऋतुवंती स्त्री का आग्रह कार्यों से पृथक रहना ।
3. प्रतिदिन सवेरे स्नान करना ।
4. शील का पालन करना ।
5. संतोष धारण करना ।
6. बाह्रा और आभ्यन्तरिक पवित्रता रखना ।
7. दोनों समय संध्या उपासना करना ।
8. संध्या समय आरती और हरि-गुण गाना ।
9. निष्ठा और प्रेम पूर्वक हवन करना ।
10. पानि, ईंधन और दूध को छानबीन कर व्यवहार में लाना ।
11. वाणी विचार कर बोलनी ।
12. क्षमा दया धारण करनी ।
13. चोरी नहीं करनी ।
14. निंदा नहीं करनी ।
15. झूठ नहीं बोलना ।
16 .वाद विवाद का त्याग करना ।
17 .अमावस्या का व्रत रखना ।
18 .विष्णु का भजन करना ।
19 .जीव दया पालनी ।
20 .हरा वृक्ष नहीं काटना।
21 .काम क्रोध आदि ‘अजरों’ को वश में करना और जीवन मुक्ति प्राप्त करना ।
22 . रसोई अपने हाथ से बनानी( नेक कमाई करना) ।
23 . थाट अमर रखवाना ।
24 . बेल को नपुसंक नहीं करवाना( बधिया) ।
25 . अमल नहीं खाना ।
26 . तंबाकू नहीं पीना भाँग नहीं खाना ।
27 . शराब नहीं पीना( किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना)
28 . मास नहीं खाना ।
29 .नीला वस्त्र धारण नहीं करना ।
29 धर्म री आकड़ी हृदय में धरियो जोय गुरु जंभेश्वर कृपा करी उणरा नाम बिश्नोई होय
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गुरु जम्भेश्वर भगवान (जाम्भोजी) FAQ’s –
Answer – गुरु जम्भेश्वर भगवान (जाम्भोजी) का जन्म स्थान पीपासर गाँव, जिला नागौर, राजस्थान है.
Answer – बिश्नोई सम्प्रदाय के संस्थापक जाम्भोजी (गुरु जम्भेश्वर भगवान) हैं.
Answer – बिश्नोई सम्प्रदाय के प्रवर्तक श्री गुरु जम्भेश्वर थे. जिन्हें जाम्भोजी भी कहा जाता है. जाम्भोजी ने ही 1485 ई. में बिश्नोई/विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना समराथल नामक स्थान पर की.
Answer – जाम्भोजी (श्री गुरु जम्भेश्वर) का मूल नाम धनराज था.
अच्छा ज्ञान दिया सर आपने
बेहतरीन जानकारी बिश्नोई