कम्प्यूटर का परिचय (Introduction to computer)
Table of Contents
परिचय – कम्प्यूटर का आविष्कार 20वीं शताब्दी की महान उपलब्धि है। वर्तमान में जीवन प्रत्येक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है। विश्वभर के कम्प्यूटरों के परस्पर जुड़ाव से बने संचार तंत्र इंटरनेट का प्रभाव इतना जबरदस्त रहा है कि इसने एक नए युग ‘सूचना प्रौद्योगिकी युग’ का सूत्रपात कर दिया है। परिचय की बात करे तो कम्प्यूटर को सामान्य आज सब जानते है।
कम्प्यूटर की परिभाषा (Defination of Computer) –
शब्द की उत्पत्ति – कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के कम्प्युट (Compute) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ गणना करना या गिनती करना होता है।
कम्प्यूटर के आविष्कार का मूल उद्देश्य शीघ्र गणना करने वाली मशीन का निर्माण करना था। लेकिन वर्तमान में कम्प्यूटर द्वारा किया जाने वाला 80 प्रतिशत से अधिक कार्य गणितीय या सांख्यिकीय प्रकृति का नहीं होता।
कंप्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसमें हम अपरिष्कृत आँकड़े देकर प्रोग्राम के नियंत्रण द्वारा उन्हें अर्थपूर्ण सूचनाओं में परिवर्तित कर सकते हैं।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जो डाटा स्वीकार करता है, उसे भंडारित करता है, दिए गए निर्देशों के अनुरूप उनका विश्लेषण करता है तथा विश्लेषित परिणामों को आवश्यकतानुसार निर्गत करता है।
कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसमें निम्नलिखित क्षमताएँ होती है –
- मानव या प्रयोक्ता (User) द्वारा प्रदत्त डाटा को स्वीकार (accept) करना।
- स्वीकृत डाटा और निर्देशों को संगृहीत या स्टोर करके निर्देशों को कार्यान्वित करना।
- गणितीय क्रियाओं व तार्किक क्रियाओं को आन्तरिक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में कार्यान्वित करना।
- प्रयोक्ता को आवश्यकतानुसार आउटपुट (Output) या परिणाम देना।
डाटा (Data) –
डाटा तथ्यों और सूचनाओं का अव्यवस्थित संकलन है। डाटा को दो प्रकार में विभाजित कर सकते है –
- संख्यात्मक डाटा (Numerical Data) – यह अंकों से बना डाटा है जिसमें 0,1,2,……9 तक अंकों का प्रयोग किया जाता है। इस तरह के डाटा पर हम अंकगणितीय क्रियाएँ कर सकते हैं। जैसे – विद्यार्थियों के प्राप्तांक, मजदूरों का वेतन आदि।
- चिह्नात्मक डाटा (Alphanumeric Data) – इसमें अक्षरों, अंकों तथा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अंकगणितीय क्रियाएँ नहीं की जा सकती, पर इनकी तुलना की जा सकती है। जैसे विद्यार्थियों की सामान्य जानकारी, कर्मचारियों का पता आदि।
सूचना (Information) –
डाटा का उपयोगिता के आधार पर किया गया विश्लेषण और संकलन के बाद प्राप्त तथ्यों को सूचना कहते हैं।
अर्थपूर्ण सूचनाएँ (Meaning ful Information) –
कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से प्राप्त होने वाले वे परिणाम हैं जिनसे कोई अर्थ निकलता हो तथा वे उपयोगी हो।
डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) –
डाटा का उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला विश्लेषण डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing) –
इलेक्ट्रॉनिक विधि से डाटा का विश्लेषण इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
अनुदेश (Instruction) –
कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दिए गए आदेशों को अनुदेश कहा जाता है।
प्रोग्राम (Program) –
कम्प्यूटर की किसी विशिष्ट भाषा में दिए जाने वाले अनुदेशों (निर्देशों) के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है। कम्प्यूटर इन प्रोग्रामों द्वारा नियंत्रित होते हैं।
सॉफ्टवेयर (Software) –
प्रोग्रामों के समुच्च को जो कम्प्यूटर के विभिन्न कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होता है, सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
2 दिसम्बर प्रतिवर्ष विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस (Computer Literacy Day) के रूप में मनाया जाता है।
कम्प्यूटर का विकास (Evolution of Computer)
कम्प्यूटर का परिचय होने के बाद हमें इसके विकास क्रम के बारे में भी जानना चाहिए।
अबेकस (The Abacus) 1450 ई.पू. –
यह गणना करने का प्राचीन यंत्र है जिसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में अंकों की गणना करने हेतु किया गया था। इस यंत्र में तारों का एक फ्रेम (Frame of Wires) होता है। इन तारों में गोलाकार मनके पिरोए रहते हैं। जिनकी सहायता से गणना की जाती है।
नैपियर बोन्स (Napier Bones) 1600 ई.–
इस यंत्र का आविष्कार एक स्कॉटिश गणितज्ञ ‘जॉन नैपियर’ ने गणना करने के लिए किया।
ब्लेस पास्कल (Blaise Pascal) 1642 ई. –
फ़्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने इस प्रथम गणना मशीन का आविष्कार किया। यह केवल जोड़ व घटा सकती थी। इसलिए इसे एडिंग मशीन भी कहा जाता है। इसको पास्कलाइन भी कहा जाता है जो सबसे पहला यांत्रिकीय गणना यंत्र था।
मल्टिपलाइन मशीन 1692 ई. –
जर्मन गणितज्ञ गोटरीड लेबनीज ने पास्कल की मशीन को और बेहतर बनाया जिससे गुणा-भाग भी हो सकता था। जिसे रेकनिंग मशीन या लेबनीज चक्र कहते हैं।
जैकुआर्ड लुम 1801 ई. –
फ़्रांसीसी बुनकर जोसेफ मारी जैकुआर्ड ने कपड़े बुनने के ऐसे लूम का आविष्कार किया जो कपड़ो में डिज़ाइन या पैटर्न स्वतः देता था।
इस लूम की विशेषता यह थी कि यह कपड़े के पैटर्न को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्ड से नियंत्रित करता था। पंचकार्ड पर छिद्रों की उपस्थिति या अनुपस्थिति द्वारा धागों को निर्देशित किया जाता था।
जैकुआर्ड के इस लूम ने दो विचारधाराएँ दीं जो आगे कम्प्युटर के विकास में उपयोगी साबित हुई।
पहली यह कि सूचना को पंचकार्ड पर कोडेड किया जा सकता है।
दूसरी विचारधारा यह थी कि पंचकार्ड पर संगृहीत सूचना, निर्देशों का समूह है जिससे पंचकार्ड को जब भी काम में लिया जाएगा तो निर्देशों का यह समूह एक प्रोग्राम के रूप में कार्य करेगा।
डिफरेंस इंजन 1813 ई. –
उन्नीसवी सदी के शुरू से ही चार्ल्स बैवेज एक मशीन बनाने का काम कर रहे थे जो जटिल गणनाएँ कर सकता था।
1813 में उन्होंने डिफरेंस इंजन का विकास किया जो भाप से चलता था।
इसके द्वारा गणनाओं का प्रिंट भी किया जा सकता था।
इसके पश्चात् सन 1833 में चार्ल्स बैवेज ने डिफरेंस इंजिन का विकसित रूप – एक शक्तिशाली मशीन – एनालिटिकल इंजिन तैयार किया।
यह मशीन कई प्रकार के गणना-कार्य करने में सक्षम थी।
बैवेज का कम्प्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा।
बैवेज का एनालिटिकल इंजिन आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और यही कारण है कि चार्ल्स बैवेज को कम्प्यूटर-विज्ञान का जनक कहा जाता है।
चार्ल्स बैवेज के एनालिटिकल इंजिन को शुरू में बेकार समझा गया तथा
इसकी उपेक्षा की गई जिसके कारण बैवेज को अपार निराशा हुई।
लेकिन एडा ऑगस्टा, जो प्रसिद्ध कवि लार्ड बायरन की पुत्री थीं, ने बैवेज के उस एनालिटिकल इंजिन में गणना के निर्देशों को विकसित करने में मदद की।
इसी कारण एडा ऑगस्टा को पहले प्रोग्रामर होने का श्रेय जाता है।
होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर 1896 ई. –
अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ ने इस विद्युत चालित यंत्र का आविष्कार किया जिसका प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
ए.बी.सी. 1939 ई. –
जॉन एटनासॉफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिक ने मिलकर संसार का पहला ‘इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर’ का आविष्कार किया।
इन्हीं के नाम पर इसे एसीबी का नाम दिया गया।
आइकन और मार्क-I 1944 ई. –
आईबीएम(IBM-International Business Machine) नामक कम्पनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हॉवर्ड आइकन के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यांत्रिक गणना यंत्र का आविष्कार किया गया।
इसे मार्क-I नाम दिया गया। यह आंशिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक भार आंशिक रूप से मैकेनिकल मशीन है।
यह बहुत बड़ी मशीन थी जिसकी ऊँचाई 8 फीट और लम्बाई 55 फिट थी।
एक गुणा का काम करने में इसे 3 से 5 सैकेंड लगती थी।
कम्प्यूटर का परिचय
इसकी विशेषताएँ
कम्प्यूटर की पीढियाँ