अध्याय 6 हाशियाकरण से निपटना | राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन 3 | हल प्रश्न
इस पोस्ट में NCERT द्वारा जारी किए गए नए पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान विषय की राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन 3 किताब के अध्याय 6 हाशियाकरण से निपटना के सभी प्रश्नों को हल किया गया है।
उम्मीद करते है आपके लिए उपयोगी होंगे।
प्रश्न 1 दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए।
उत्तर – समानता का अधिकार व शोषण के विरुद्ध अधिकार का दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
(1) समानता का अधिकार –
समानता के अधिकार के अन्तर्गत यह स्पष्ट कहा गया है कि कानून की नजर में सभी लोग समान हैं अर्थात् सभी लोगों को देश का कानून बराबर सुरक्षा प्रदान करेगा।
अनुच्छेद 15 में कहा गया है कि भारत के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
समानता के अधिकार का उल्लंघन होने पर दलित इस प्रावधान का सहारा ले सकते हैं। इस अधिकार के अन्तर्गत खेल के मैदान, होटल, दुकान इत्यादि सार्वजनिक स्थानों पर सभी को बराबर पहुँच का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता या छुआछूत का उन्मूलन किया जा चुका है। इसका अभिप्राय यह है कि अब कोई भी व्यक्ति दलितों को पढ़ने, मन्दिरों में जाने और सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने से नहीं रोक सकता।
इस तरह अगर दलित समुदाय को यह लगता है कि सरकार या कोई अन्य समुदाय या व्यक्ति उनके साथ समानता का बर्ताव नहीं कर रहा है तो वह असमानता के मौलिक अधिकार का उपयोग कर सकता है।
(2) शोषण के विरुद्ध अधिकार –
संविधान में कहा गया है की मानव-व्यापार, जबरिया श्रम और 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मजदूरी पर रखना अपराध है।
अध्याय 5 हाशियाकरण की समझ सभी प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 2 रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं
अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढ़िए।
अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इसी कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई।
उत्तर – रत्नम ने 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)
अधिनियम के प्रावधानों के तहत शिकायत इसलिए दर्ज कराई क्योंकि इस कानून में शारीरिक रूप से
खौफनाक और नैतिक रूप से निन्दनीय अपमानों के स्वरूपों की सूची दी गई है।
इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को सजा दिलाना है जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के
किसी व्यक्ति को कोई अखाद्य अथवा गन्दा पदार्थ पीने या खाने के लिए विवश करता है
या कोई ऐसा कृत्य करते हैं जो मानवीय प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है।
अध्याय 4 न्यायपालिका हल प्रश्न उत्तर
प्रश्न 3 सी.के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आ
दिवासी भी अपने परम्परागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं? इस कानून के प्रावधानों में ऐसा क्या खास है जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है?
उत्तर – आदिवासी कार्यकर्त्ता अपनी परम्परागत जमीन पर अपने कब्जे की बहाली के लिए अर्थात्
अपने परम्परागत संसाधनों के छीनने के खिलाफ इस कानून का उपयोग कर सकते हैं
क्योंकि इस कानून में ऐसे कृत्यों की सूची भी है
जिनके जरिए आदिवासियों को उनके साधारण संसाधनों से वंचित किया जाता है।
इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जनजाति
के किसी व्यक्ति के नाम पर आवण्टित की गई या उसके स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करता है या
खेती करता है या अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है, तो उसे सजा दी जाएगी।
सी.के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्त्ताओं को इसी प्रावधान के आधार पर ऐसा लगता है
कि आदिवासी भी अपने परम्परागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ 1989 के कानून का उपयोग कर सकते हैं।
इस कानून के उक्त प्रावधान उनकी मान्यता को पुष्ट करते हैं।
अध्याय 6 हाशियाकरण से निपटना FAQ’s
संविधान के अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता का उन्मूलन किया गया है.