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अध्याय 3 स्थलरूप एवं जीवन प्रश्नोत्तर

अध्याय 3 स्थलरूप एवं जीवन | प्रश्नोत्तर | कक्षा 6

अध्याय 3 स्थलरूप एवं जीवन | प्रश्नोत्तर | कक्षा 6

इस लेख में हम NCERT की कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 3 “स्थलरूप एवं जीवन” के सभी महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्नों को हल किया गया है। New Book

उम्मीद करते है कि अध्याय 3 के प्रश्नोत्तर आपके लिए उपयोगी साबित होंगे।

उत्तर – स्थलरूप के व्यापक रूप से प्रमुख प्रकार तीन हो सकते हैं – (1) पर्वत, (2) पठार और (3) मैदान।

इन स्थलरूपों में विविध प्रकार की जलवायु और अलग-अलग प्रकार के पेड़-पौधे तथा जीवजन्तु पाए जाते हैं। मानव ने सभी स्थलरूपों के अनुसार स्वयं को ढाला है।

पर्वतों का महत्त्व – पर्वतों में घने वन, बहती नदियाँ, झीले, घास के मैदान और कंदराएँ अनेक प्रकार के जीवों को आश्रम प्रदान करते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों का पशुपालन तथा पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। पर्वतों की स्वच्छ हवा और मनोरस प्राकृतिक दृश्य सभी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। कुछ पर्यटक पर्वतों पर साहसिक खेलों के लिए भी जाते हैं, जैसे – स्कीइंग, हाइकिंग, पर्वतारोहण और पैरा-ग्लाइडिंग। अनेक शताब्दियों से लोग पवित्र स्थलों की तीर्थयात्रा पर जाने के लिए पर्वतों की यात्राएँ करते हैं।

पठारों का महत्त्व – पठारों में खनिजों का प्रचुर मात्रा में जमाव देखने को मिलना है। इस कारण इन्हें खनिजों का भण्डार-गृह भी कहा जाता है। अतः पठारों में खनन मुख्य गतिविधि है। इसके अतिरिक्त पठारों पर अनेक आकर्षक जल प्रताप भी होते हैं।

मैदानों का महत्त्व – मैदानों में लोगों का मुख्य आर्थिक व्यवसाय कृषि है। यहाँ विविध प्रकार की वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का भी पोषण होता है।

पर्वतों व मैदानों में बहने वाली नदियाँ बहुत से सांस्कृतिक मूल्यों का वहन करती है। इनके संगम स्थलों को पवित्र माना जाता है। भारत में नदियों के संगम स्थलों पर बहुत से त्योहार, समारोह, मेले और धार्मिक कृत्य किए जाते हैं।

उत्तर – पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन की चुनौतियाँ व अवसर – पर्वतीय भू-भाग सामान्य रूप से खड़े ढलानों के साथ ऊबड़-खाबड़ होता है। जहाँ रहने वाले लोगों को निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है –

(1) आकस्मिक बाढ़ – पर्वतों पर प्रायः बादल फटने से अत्यधिक तीव्र बारिश से स्थान विशेष में अकस्मात् बाढ़ आ जाती है, इससे यहाँ जन-धन की बहुत हानि होती है।

(2) भूस्खलन – पर्वतीय भूखण्ड के एक बड़े भाग या एक चट्टान के अकस्मात् गिरने से यहाँ के निवासियों को निवास के गिरने व आवागमन के अवरुद्ध होने से बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।

(3) हिमधाव – पर्वतीय जीवन की एक अन्य चुनौती हिमधाव है। जब यहाँ हिम का पिघलना प्रारम्भ होता है, तो यहाँ पर पर्वत से अचानक हिम गिरने लगती है या हिमपात होने लगता है अथवा चट्टानें टूटकर गिर जाती हैं। इस हिमधाव का यहाँ के लोगों को प्रायः सामना करना पड़ता है।

(4) पर्यटकों का अनियंत्रित रूप से आ जाना – बहुत सारे पर्यटकों के एक साथ आ जाने से पर्वतों के पर्यावरण पर दबाव पड़ता है। प्रायः इनमें सही संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है।

पर्वतीय जीवन के सकारात्मक पक्ष –

पर्वतीय जीवन के कई सकारात्मक पक्ष भी हैं, जैसे – पर्वतों की स्वच्छ हवा और प्राकृतिक मनोरम दृश्य आदि। ये यहाँ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ स्थित पवित्र तीर्थस्थल भी यहाँ लोगों को तीर्थ यात्रा के लिए आकर्षित करते हैं।

पठारों में जीवन की चुनौतियाँ व अवसर – पठारों में प्रायः चट्टानी मिट्टी पाई जाती हैं जो मैदानी मिट्टी की तुलना में कम उपजाऊ होती है। अतः पठार कृषि के लिए कम अनुकूल होते हैं। लेकिन पठारों में खनिजों का जमाव प्रचुर मात्रा में होने से खनन यहाँ की मुख्य गतिविधि है। पठारों में सोने, हीरे, लौह, कोयला, मैंगनीज आदि खनिजों के प्रचुर भण्डार हैं। इसके अतिरिक्त पठारों में अनेक आकर्षक जल प्रपात भी होते हैं।

मैदानों में जीवन – मैदानों की मिट्टी उपजाऊ होती है। फलस्वरूप ये मैदान सभी प्रकार के फसलों को उपजाने के लिए उपयुक्त होते हैं। अतः यहाँ की मुख्य आर्थिक गतिविधि कृषि है। अधिकांश आरंभिक सभ्यताएँ नदियों के उपजाऊ मैदानों के आस-पास विकसित हुई हैं। विश्व की अधिकांश जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। समतल होने के कारण मैदानों में यातायात व निवास में आसानी रहती है।

लेकिन वर्तमान में अधिक सिंचाई से भूमिगत जलस्तर में गिरावट आने से इस क्षेत्र में कृषि के भविष्य को लेकर चुनौतीपूर्ण स्थिति भी उत्पन्न हो गई है। मैदानों की अन्य प्रमुख चुनौतियाँ है – बढ़ती हुई जनसंख्या और बढ़ता प्रदुषण।

कक्षा की गतिविधि के रूप में बहुत ऊँचाई से लिए गए उत्तर – भारत के क्षेत्र के उपग्रह चित्र (चित्र 3.9) का अवलोकन कीजिए और उस पर चर्चा कीजिए –

उत्तर – भूरा रंग

उत्तर – सफेद रंग बर्फ को दर्शाता है।

उत्तर – भूरा रंग गंगा के मैदान के फैलाव को दर्शा रहा है।

उत्तर – भारत में गंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय क्षेत्र में गंगोत्री मानी जाती है। प्रयाग में त्रिवेणी गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है। यह हिन्दू समुदाय का पवित्र स्थल माना जाता है।

उत्तर – (विद्यार्थी इसके बारे स्वयं लिखेंगे।)

उत्तर – भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं – जैसलमेर, कश्मीर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, शिमला, नैनीताल, नहकालिकाई जल प्रपात आदि। ये पर्यटन स्थल जिस स्वरूप से संबंधित हैं, वे इस प्रकार हैं – कश्मीर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, शिमला, नैनीताल पर्वत स्थल रूप से, जैसलमेर मरुस्थल स्थल रूप से तथा नहकालीकाई जल प्रपात पठार स्थल रूप से।

उत्तर – मेरा नगर नागौर शुष्क मैदानी स्थल रूप पर स्थित है। यहाँ वर्षा कम होती है और जल की कमी रहती है। आस-पास रेत के टीले दिखाई देते हैं। लोग अधिकतर पशुपालन करते हैं और बाजरा, चना जैसी फसलें उगाते हैं। अध्याय में बताई गई मरुस्थलीय क्षेत्र की विशेषताएँ जैसे – कम वर्षा, विरल वनस्पति, पशुपालन और सीमित खेती – मेरे नगर में साफ दिखाई देती हैं।

उत्तर – छोटा नागपुर से प्रयागराज और अल्मोड़ा की हमारी यात्रा में आने वाले तीन स्थल रूप हैं – पठार, मैदान और पर्वत। यथा –

(1) छोटा नागपुर – छोटा नागपुर दक्षिण के पठार का क्षेत्र है। यह पठार विश्व के सबसे पुराने पठारों में से एक है जो कई लाख वर्ष पहले ज्वालामुखी की सक्रियता के कारण बना था। यह पठार एक ऐसी स्थलाकृति है जो आस-पास की भूमि से ऊपर उठी हुई है और इसकी सतह चपटी है तथा इसके कुछ पार्श्व सीधी ढलान वाले हैं। भारत में छोटा नागपुर पठार में लौह, कोयला और मैंगनीज के प्रचुर भण्डार हैं।

(2) अल्मोड़ा – अल्मोड़ा पर्वत स्थल रूप है। यह स्थल आस-पास की भूमि से काफी ऊँचा उठा हुआ है। यहाँ काफी ठंडक रहती है। यह हिमालय पर्वत शृंखला का एक क्षेत्र है। इसके ढलानों पर शंकुधारी वृक्ष हैं।

(3) प्रयागराज – यह मैदानी स्थलरूप है और गंगा के मैदान का भाग है। यह क्षेत्र उपजाऊ है क्योंकि नदियों के तलछट से यह निर्मित हुआ है। यहाँ पर गंगा, यमुना और सरस्वती नामक नदियों का त्रिवेणी नामक संगम स्थल है। यह मैदान सभी प्रकार की फसलों को उपजाने के लिए उपयुक्त है। यहाँ के लोगों की मुख्य आर्थिक क्रिया कृषि है।

उत्तर – भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल व स्थलरूप

 भारत के कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलस्थलरूप
1.अमरनाथपर्वत
2.बद्रीनाथ, केदारनाथपर्वत
3.हरिद्वारमैदान
4.रामेश्वरम्मैदान
5.जगन्नाथपुरीमैदान
6.कैलाश पर्वतपर्वत
7.स्वर्ण मंदिरमैदान
  1. हिमालय गोल शिखरों वाली नविन पर्वत श्रृंखला है।
  2. पठार प्रायः एक ओर उठे हुए होते हैं।
  3. पर्वत और पहाड़ियाँ एक ही प्रकार के स्थल रूप हैं।
  4. भारत में पर्वत, पठार और नदियों में एक ही प्रकार के वनस्पति और प्राणी जगत पाए जाते हैं।
  5. गंगा यमुना की सहायक नदी है।
  6. मरूस्थल का वनस्पति जगत और प्राणी जगत विलक्षण होता है।
  7. हिम के पिघलने से नदियों में जल आता है।
  8. मैदानों में नदियों द्वारा एकत्र किए गए तलछट भूमि को उपजाऊ बनाते हैं।
  9. सभी मरूस्थल गर्म होते हैं।

उत्तर – 1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. सत्य और 9. असत्य।

एवरेस्ट गिरिश्रृंगअफ्रीका
राफ्टिंगविश्व की छत
ऊँटधान के खेत
पठारमरुस्थल
गंगा का मैदाननदी
जलमार्गगंगा
किलिमंजारो गिरिश्रृंगसहायक नदी
यमुनापर्वतारोहण

उत्तर – शब्दों के जोड़े निम्नानुसार है –

एवरेस्ट गिरिश्रृंगपर्वतारोहण
राफ्टिंगनदी
ऊँटमरुस्थल
पठारविश्व की छत
गंगा का मैदानधान का खेत
जलमार्गगंगा
किलिमंजारो गिरिश्रृंगअफ्रीका
यमुनासहायक नदी

अध्याय 3 स्थलरूप एवं जीवन FAQ’s

प्रश्न : दक्षिणी अमेरिका की सबसे ऊँची पर्वत चोटी हैं ?

उत्तर – माउंट अकोंकागुआ

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