लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 ई. को महाराष्ट्र में कोंकण तट के रत्नागिरि में हुआ था।
इनके पिता का नाम गंगाधर पंत था।
बाल गंगाधर तिलक राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने जनसाधारण से निकट संबंध स्थापित करने का प्रयत्न किया और इस दृष्टि से वे महात्मा गाँधी के अग्रगामी थे।
तिलक ने चिपलूनकर एवं आगरकर के सहयोग से 1881 ई. में मराठा (अंग्रेजी में ) तथा केसरी (मराठी में ) नामक दो साप्ताहिक समाचार पत्रों का सम्पादन किए।
1895 ई. में शिवाजी एवं गणपति महोत्सव आरम्भ किए ताकि जनता में राष्ट्र सेवा एवं एकता की भावना जाग्रत हो सके।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के उग्रवादी विचारों के कारण 1907 ई. में कांग्रेस का विभाजन हुआ।
गुजरात में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल (लाल, बाल, पाल आदि) नरम दल (गोपाल कृष्ण गोखले आदि) में बंट गई।
तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा जाता है।
वे 1908 से 1914 तक बर्मा की मांडले जेल में कैद रहे। पत्रकार के कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जेल जाने वाले प्रथम भारतीय थे।
स्वराज्य की माँग –
तिलक ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्वराज्य की माँग स्पष्ट रूप से की थी।
उन्होंने कहा था कि ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।’
बाल गंगाधर तिलक पहले कांग्रेसी नेता जिन्होंने यह सुझाव दिया कि देवनागिरी लिपि में लिखी हुई हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा हो।
पूना में इन्होंने 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की।
बालिकाओं के विवाह की आयु बढ़ाने का विरोध किया था।
गीता रहस्य व Arctic Home of the Vedas उनकी दो प्रमुख पुस्तकें थी व औरायन एक अन्य वैदिक रचना थी।
उन्होंने भारतीय युवाओं के बीच शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए दक्कन एजुकेशन सोसायटी का गठन किया।
1900 ई. में पूना न्यू इंग्लिश स्कूल खोला।
1 अगस्त, 1920 ई. में उनकी मृत्यु हो गई।
उन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी माना जाता है।
महात्मा गाँधीजी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा था।