You are currently viewing राजस्थान में ऊर्जा संसाधन(Energy Resources in Rajasthan)
राजस्थान में उर्जा संसाधन

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन(Energy Resources in Rajasthan)

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन(Energy Resources in Rajasthan)

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन के रूप में गठन के समय 15 छोटे विद्युत गृह थे जिनकी कुल स्थापित विद्युत क्षमता केवल 13.27 मेगावाट थी। राज्य में राजस्थान विद्युत नियामक आयोग का गठन 2 जनवरी, 2000 को किया गया, इसके प्रथम अध्यक्ष श्री अरुण कुमार थे।

राज्य सरकार द्वारा 19 जुलाई, 2000 को अधिसूचना जरी कर राजस्थान राज्य विद्युत मंडल का विभाजन कर उसके कार्य को नवगठित पांच कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया गया-

1. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि.(RVUNL)- इसका मुख्यालय जयपुर में है और राज्य में विद्युत उत्पादन का दायित्व इस कंपनी को दे दिया गया।

2. राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लि. (RVPNL)

3. जयपुर विद्युत वितरण निगम लि. (JVVNL) मुख्यालय- जयपुर।

4. अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. (AVVNL) मुख्यालय- अजमेर।

5. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. (JVVNL) मुख्यालय- जोधपुर। 25 अगस्त, 2015 को ‘राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड’ का गठन किया गया है।

ऊर्जा के स्रोत

ऊर्जा प्राप्ति के स्रोतों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

परम्परागत ऊर्जा स्रोत-

इसमें निम्न प्रकार के ऊर्जा स्रोत आते है-

जल विद्युत- राज्य की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएँ-

क्र.सं. परियोजना का नाम विवरण
1. माही बजाज सागर (140 MW) राजस्थान का अंश 100% राजस्थान व राजस्थान की संयुक्त परियोजना। इसमें बाँसवाड़ा जिले के बोरखेड़ा स्थान पर माही नदी पर बांध एवं दो विद्युत गृह बनाए गए है। इसका उद्घाटन 1 नवम्बर, 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने किया।
2. चम्बल परियोजना (193 MW) राज्य का अंश 50% राजस्थान व मध्यप्रदेश की 50:50 की साझेदारी वाली परियोजना जिसमें चम्बल नदी पर तीन बाँध बनाकर निम्न विद्युत गृह स्थापित किये गए है- प्रथम- गाँधी सागर बाँध (मध्यप्रदेश), द्वितीय- राणा प्रताप सागर बाँध (चितौड़गढ़), तृतीय– जवाहर सागर बाँध
3. भाखड़ा नांगल परियोजना- राज्य का अंश 15.22% राजस्थान, पंजाब व हरियाणा की संयुक्त परियोजना। इसकी कुल विद्युत क्षमता 1480.3 मेगावाट है। इस परियोजना में सतलज नदी पर बनाये गए नांगल बाँध से निकाली नहर पर कोटड़ा व गंगुवाल विद्युत गृह बनाए गए हैं।
4. व्यास परियोजना- राजस्थान का हिस्सा देहर से 20% व पोंग से 58.5% राजस्थान, पंजाब व हरियाणा की संयुक्त परियोजना। इसमें हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी पर पंडोह व पोंग स्थानों पर बाँध बनाकर देहर व पोंग स्थानों पर दो विद्युत गृह स्थापित किए हैं।
5. अनास विद्युत परियोजना (बाँसवाड़ा) इस परियोजना में अनास व हरण नदियों के संगम पर बाँध बनाकर माही पन बिजली परियोजना के द्वितीय विद्युत गृह पर 45 मेगावाट क्षमता की तीसरी इकाई स्थापित की जाएगी।

तापीय विद्युत- कोयला, गैस, तेल आदि।

राजस्थान की प्रमुख ताप विद्युत परियोजनाएँ-

क्र.सं. परियोजना विवरण
1. सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन गंगानगर जिले के सूरतगढ़ के निकट ठुकराणा गाँव के समीप प्रभात नगर में स्थित यह प्रदेश का पहला सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन है।सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युत परियोजना (इकाई 7 व 8) का शिलान्यास 20 जून, 2013 को किया गया।
2. कोटा सुपर तापीय विद्युत परियोजना कोटा में चम्बल नदी के बाएं किनारे पर कोटा बैराज के निकट यह तापीय विद्युत गृह स्थापित किया गया है। यह राज्य का पहला कोयला आधारित विद्युत गृह है तथा प्रदेश का दूसरा सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन है।
3. छबड़ा सुपर तापीय विद्युत परियोजना, बारां बारां जिले में स्थित इस परियोजना के प्रथम चरण का शिलान्यास 8 दिसम्बर, 2005 को छबड़ा तहसील के चौकी मोतीपुरा गाँव में किया गया। इस परियोजना को पार्वती, बैंथली व हिंगलोत बाँध से पानी प्राप्त होता है। यह राज्य का तीसरा सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन है। छबड़ा सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युत परियोजना (इकाई 5 व 6) की स्थापना की गई है।
4. कालीसिंध तापीय विद्युत परियोजना, झालावाड़ झालावाड़ जिले की झालरापाटन तहसील के उंडेल, मोतीपुरा, निमोदा, सिंघनिया तथा देवरी गांवों के समूह में स्थापित इस परियोजना का शिलान्यास 3 सितम्बर, 2008 को किया गया। इस परियोजना को पानी कालीसिंध बाँध से उपलब्ध होता है। कालीसिंध सुपर क्रिटिकल तापीय परियोजना (इकाई 3 व 4) का शिलान्यास 17 सितम्बर, 2013 को किया गया है।
5. गिरल लिग्नाइट थर्मल पॉवर स्टेशन राज्य का पहला लिग्नाइट गैसीकरण तकनीक पर आधारित विद्युत गृह थुम्बली गाँव, बाड़मेर में स्थापित किया गया है। इसमें लिग्नाइट को भूमि में ही गैस में परिवर्तित कर विद्युत उत्पादन किया जाएगा।
6. बरसिंहसर थर्मल पॉवर यह परियोजना बीकानेर जिले में स्थित है।
7. भादेसर (बाड़मेर) लिग्नाइट आधारित सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट यह परियोजना निजी क्षेत्र की कंपनी JSW एनर्जी की सहायक कंपनी राजवेस्ट पॉवर लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया है।

गैस व तरल ईंधन पर आधारित परियोजनाएँ-

क्र.सं. परियोजना विवरण
1. रामगढ़ गैस परियोजना, जैसलमेर यह राज्य सरकार द्वारा स्थापित प्रथम गैस आधारित विद्युत परियोजना है। इसकी स्थापना जैसलमेर जिले के रामगढ़ स्थान पर की गई है। यह परियोजना प्राकृतिक गैस पर आधारित है। ONGC द्वारा जैसलमेर के तनोट- डांडेवाला, बागी टिब्बा एवं मनहेरा टिब्बा क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस का उत्पादन का गेल द्वारा रामगढ़ गैस विद्युत संयंत्र को आपूर्ति की जा रही है।
2. अन्ता गैस विद्युत परियोजना, बाराँ यह राजस्थान में स्थापित केंद्र सरकार की प्रथम गैस विद्युत परियोजना है। इसे गैस की आपूर्ति HBJ पाइप लाइन से की जाती है।

आणविक ऊर्जा- राज्य का पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन राजस्थान परमाणु शक्ति गृह, रावतभाटा (चितौड़गढ़) में स्थित है। नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित यह कनाडा के सहयोग से स्थापित किया गया। दाबित भारी पानी किस्म के रिएक्टर की शृंखला में भी यह देश का प्रथम बिजलीघर है।

गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत-

सौर ऊर्जा-

राज्य में नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के आंकलन के अनुसार सौर स्रोतों से 147 गीगावाट सौर ऊर्जा बनाने की क्षमता है। राजस्थान में जोधपुर में सौर ऊर्जा की सर्वाधिक संभाव्यता है। क्लिंटन फाउंडेशन व राज्य सरकार के मध्य 18 जनवरी, 2010 को हुए समझौते के तहत क्लिंटन फाउंडेशन द्वारा प्रदेश में ‘सोलर पार्क्स’ के विकास हेतु आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है। राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में प्रथम सोलर पार्क भड़ला (तहसील-बाप, जिला जोधपुर) में विकसित किया गया है।  इस पार्क के प्रथम चरण का शिलान्यास 21 अगस्त, 2013 को किया गया। सौर ऊर्जा के कृषि में उपयोग हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही है।

पवन ऊर्जा-

राज्य में पवन ऊर्जा के विकास हेतु इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ ट्रोपिकल मेटेलर्जी ने 26 स्थानों को चिह्नित किया है। जिनमें से प्रमुख है- 1. हर्षनाथ (सीकर), 2. जैसलमेर, 3. देवगढ (प्रतापगढ़), 4. जसवंतगढ़ (उदयपुर), 5. धमोतर (चित्तौड़गढ़), 6. खाडोल (बाड़मेर), 7. मोहनगढ़ (जैसलमेर), 8. फलौदी (जोधपुर) । राज्य में सर्वाधिक पवन ऊर्जा जैसलमेर जिले में उत्पादित होती है।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के पवन ऊर्जा संयंत्र-

क्र.सं. स्थान स्थापना दिनांक विवरण
1. अमरसागर, जैसलमेर 05.04.2000 राज्य का प्रथम पवन ऊर्जा संयंत्र
2. देवगढ, प्रतापगढ़ 22.08.2000  
3. फलौदी, जोधपुर 15.04.2001  
4. सोढा बाँधन, जैसलमेर 28.06.2004 राज्य अक्षय ऊर्जा निगम का प्रथम बड़ा पवन ऊर्जा संयंत्र
5. आकल, जैसलमेर 29.03.2006  
6. पोहरा, जैसलमेर 28.03.2010  

राज्य की निजी क्षेत्र की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना (2.76 MW) बड़ा बाग (जैसलमेर) में मैसर्स कालानी इंडस्ट्रीज, इंदौर द्वारा मार्च, 2001 में स्थापित की गई।

बायोगैस (गोबर गैस)-

यह जानवरों के मल मूत्र के वायुरहित अवस्था में अपघटन होने पर जीवाणुओं की क्रिया से उत्पन्न एक ज्वलनशील गैस है। इसमें मुख्य रूप से मीथेन (65%), कार्बन डाइ ऑक्साइड (30%) व हाइड्रोजन (1.2%) होती है। राजस्थान में ऊर्जा संसाधन का यह महत्वपूर्ण स्रोत है।

बायोमास-

ज्वारीय तरंग ऊर्जा-

भू-तापीय ऊर्जा-

This Post Has One Comment

प्रातिक्रिया दे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.