अध्याय 7 जनसुविधाएँ | सामाजिक विज्ञान | कक्षा 8 | प्रश्नोत्तर
इस लेख में NCERT द्वारा जारी नए पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान विषय की सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन 3 किताब के अध्याय 7 जनसुविधाएँ के सभी प्रश्नों को हल किया गया है।
उम्मीद करते हैं कि ये आपके लिए उपयोगी होंगे।
प्रश्न 1 आपको ऐसा क्यों लगता है की दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं?
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उत्तर – दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं क्योंकि निजी कंपनियां मुनाफे के लिए चलती हैं। कई जगह निजी कम्पनियाँ टैंकरों या सीलबंद बोतलों के द्वारा पानी की आपूर्ति करती है, लेकिन उनकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि कुछ ही लोग उसका खर्च उठा पाते हैं। यह सुविधा सस्ती कर पर सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती, जितना खर्च करेंगे, उसके अनुसार ही सुविधा पाएंगे। इसका परिणाम यह होगा कि जो इन सुविधाओं के बदले में खर्च नहीं कर पाएंगे वे सम्मानजनक जीवन जीने से वंचित रह जाएंगे। इससे हमको ऐसा लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं।
प्रश्न 2 क्या आपको लगता है कि चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध है और वे पानी का खर्च उठा सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर – चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। नगरपालिका की आपूर्ति से शहर की लगभग आधी जरूरत ही पूरी हो पाती है। कुछ क्षेत्रों में नियमित रूप से पानी आता है, कुछ क्षेत्रों में बहुत कम पानी आता है। जलापूर्ति में कमी का बोझ ज्यादातर गरीबों पर पड़ता है। जब मध्यम वर्ग के लोगों के सामने पानी की किल्लत पैदा हो जाती है तो इस वर्ग के लोग बोरवेल खोद कर, टैंकरों से पानी खरीद कर या बोतलबंद पानी खरीद कर अपना काम चला लेते हैं।
पानी की उपलब्धता के अलावा कुछ ही लोगों की सुरक्षित पेयजल तक पहुँच है। संपन्न तबके के लोग अधिक खर्च करके बोतलबंद जल या जलशोधक उपकरणों के सहारे साफ जल का इंतजाम कर सकते है। परन्तु गरीब इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। ऐसा लगता है कि जिन लोगों के पास पैसा है, उन्हीं के पास जल का अधिकार है। यह स्थिति सबको पर्याप्त तथा स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य से बहुत दूर है।
अध्याय 6 हाशियाकरण से निपटना प्रश्नोत्तर हल
प्रश्न 3 किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है?
उत्तर – किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से न केवल खेती का पानी छिन जाता है, बल्कि गाँव के लोगों के लिए पीने के पानी की आपूर्ति भी कम पड़ने लगती है। परिणामस्वरूप सारे कस्बों और गाँवों में भूमिगत जल स्तर बुरी तरह गिर चूका है। स्थानीय लोग भूमिगत जल के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं। सरकार को भी चाहिए कि ऐसे अवांछित भूमिगत पानी के दोहन को रोका जाए और सार्वजनिक जल वितरण प्रणाली का विस्तार किया जाए।
प्रश्न 4 ऐसा क्यों है कि ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही हैं?
उत्तर – ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में इसलिए हैं कि इन शहरों में कस्बों तथा गाँवों की तुलना में जान-सुविधाएँ अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। जनसुविधाओं के अभाव में निजी स्कूल व निजी अस्पताल गाँवों या कस्बों में नहीं खोले जा रहे हैं।
दूसरे, निजी स्कूलों और निजी अस्पतालों की सेवाएँ महँगी होती हैं। इन महँगी सेवाओं पर सम्पन्न वर्ग ही खर्च कर सकता है। गाँवों व कस्बों में शहरों की तुलना में सम्पन्नता का अभाव है। इन कारणों से वहाँ निजी स्कूल व निजी अस्पताल नहीं खुल पा रहे हैं।
प्रश्न 5 क्या आपको लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दें।
उत्तर – नहीं, हमें यह नहीं लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है। उदाहरण के लिए, चेन्नई में पानी की भारी कमी है। नगरपालिका की आपूर्ति से शहर की लगभग आधी जरूरत की पूरी हो पाती है। कुछ इलाकों में नियमित रूप से पानी आता है, कुछ इलाकों में बहुत कम पानी आता है। यथा –
(1) अन्नानगर क्षेत्र –
चेन्नई के अन्नानगर जैसे उच्चवर्गीय इलाके के नलों में 24 घंटे पानी आता है। जब पानी की आपूर्ति कम होती है तो वहाँ के रामगोपाल जैसे निवासी नगर जल निगम में परिचित एक बड़े अफसर से बात करते हैं और फ़ौरन उनके लिए पानी के टैंकर की व्यवस्था हो जाती है।
(2) मैलापुर जैसे क्षेत्र –
शहर के ज्यादातर क्षेत्रों की तरह मैलापुर में पानी की कमी है। यहाँ नगरपालिका दो दिन में एक बार पानी उपलब्ध कराती है। कुछ लोगों की जरूरतें निजी बोरवेल से पूरी हो जाती हैं। लेकिन बोरवेल का पानी खारा है। लोग उसे शौचालय और साफ-सफाई के लिए ही उपयोग करते हैं। दूसरे कामों के लिए टैंकरों का पानी खरीदना पड़ता है। पानी खरीदने के लिए प्रति माह 500-600 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। पीने के पानी को साफ करने के लिए लोगों ने घरों में ही जल शोधन उपकरण लगवाए हुए हैं।
(3) मडीपाक्कम जैसे इलाके –
मडीपाक्कम जैसे इलाकों में चार दिन में एक बार पानी मिलता है। पानी की कमी के कारण वे लोग परिवार को भी अपने साथ में नहीं रख पाते हैं। पीने के लिए पानी की बोतलें खरीदनी पड़ती हैं।
(4) सैदापेट के पास झुग्गी बस्ती –
30 झुग्गियों के लिए कोने में एक ही नल है। नल में रोज 20 मिनट के लिए एक बोरवेल से पानी आता है।
इस दौरान एक परिवार को ज्यादा से ज्यादा 3 बाल्टियाँ भरने का मौका मिलता है।
इसी पानी को लोग नहाने, धोने व पीने के लिए उपयोग करते हैं।
गर्मियों में पानी और भी कम मिलता है।
उन्हें टैंकरों का घंटों इंतजार करना पड़ता है।
इन उदाहरणों के आधार पर हम कह सकते है
कि हमारे देश में जनसुविधाओं का न तो पर्याप्त वितरण है और न ही यह वितरण निष्पक्ष है।
प्रश्न 6 अपने इलाके की पानी, बिजली आदि कुछ जनसुविधाऑन को देखें। क्या उनमें सुधार की कोई गुंजाइश है? आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए? इस तालिका को भरें।
क्या यह उपलब्ध है? | उसमें कैसे सुधार लाया जाए? | |
पानी | ||
बिजली | ||
सड़क | ||
सार्वजनिक परिवहन |
उत्तर –
क्या यह उपलब्ध है? | उसमें कैसे सुधार लाया जाए? | |
पानी | सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं | नल की सुविधा करनी चाहिए |
बिजली | उपलब्ध है | कोई सुधार की आवश्यकता नहीं |
सड़क | पक्की सड़क नहीं | पक्की सड़क बनाने की जरूरत |
सार्वजनिक परिवहन | नहीं | इसकी सुविधा करनी चाहिए |
प्रश्न 7 क्या आपके इलाके के सभी लोग उपरोक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते हैं? विस्तार से बताएँ।
उत्तर – नहीं, हमारे क्षेत्र के सभी लोग उपर्युक्त जनसुविधाओं का समान रूप से उपयोग नहीं कर पाते हैं।
हमारे इलाके में सभी वर्गों के लोग रहते हैं।
इनमें आर्थिक दृष्टि से संपन्न लोग सरकारी जनसुविधाओं के साथ-साथ निजी कम्पनियों द्वारा प्रदत्त जनसुविधाओं का भी उपयोग करते हैं।
जबकि गरीब लोग केवल सरकारी जनसुविधाओं पर आश्रित हैं।
सरकारी जनसुविधाओं पर अत्यधिक भार होने के कारण उनकी प्राप्ति हेतु गरीब लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
इसके अतिरिक्त उन्हें पानी, बिजली जैसी सुविधाएँ भी कम मात्रा में प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 8 जनगणना के साथ-साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आँकड़े इकट्ठा किए जाते हैं।
अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है।
उत्तर – हमारे देश में जनगणना का कार्य प्रत्येक दस वर्ष बाद किया जाता है।
पिछली जनगणना सन 2011 में हुई है। जनगणना का कार्य जनगणना विभाग द्वारा किया जाता है।
प्रत्येक राज्य में कार्य जनगणना विभाग अन्य राज्य कर्मचारियों से, विशेषकर शिक्षकों से, इस कार्य में सहायता लेता है।
वह सरकार द्वारा निर्धारित बिंदुओं के आधार पर जनगणना का कार्य करता है।
गणक प्रत्येक घर जाकर परिवार के मुखिया से घर के सदस्यों की संख्या, उनके नाम आदि का विवरण लेते हैं।
इसके साथ ही धर्म, जाति (यदि पूछी जाए), व्यवसाय, जन-सुविधाओं की उपलब्धता सम्बन्धी आँकड़े लेते हैं।
इन समस्त आंकड़ो का जनगणना विभाग वर्गीकरण, सारणीयन तथा विश्लेषण कर सामान्य निष्कर्ष निकालता है
तथा उन निष्कर्षों को प्रकाशित करता है।
प्रश्न 9 हमारे देश में निजी शैक्षणिक संस्थान – स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं।
दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व कम होता जा रहा है।
आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है? चर्चा कीजिए।
उत्तर – निजी शैक्षणिक संस्थानों ने समय की माँग के अनुसार अपने को ढाला है
जबकि सरकारी शिक्षा संस्थानों ने समय की माँग के अनुरूप तकनीकी ढंग से अपने आप को परिवर्तित नहीं किया है,
इसके कारण इनकी तुलना में निजी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है।
हमारी राय में इसका निम्न असर हो सकता है –
- निजी शैक्षणिक संस्थानों का महत्त्व बढ़ने से शिक्षा महंगी हो जाएगी तथा गरीब और सामान्य लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होगी।
- सरकारी शैक्षणिक संस्थानों का महत्त्व घटने तथा निजी शैक्षणिक संस्थानों का महत्त्व घटने से भारतीय संविधान के सामाजिक-आर्थिक न्याय के आदर्श को गहरा धक्का लगेगा।
- गरीब वर्गों के लोग उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएंगे जिससे आगे जाकर देश का उचित सामाजिक-आर्थिक विकास अवरुद्ध होगा।
अध्याय 7 जनसुविधाएँ FAQ’s
एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए व्यक्ति को निज मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता होती है, उसे जन-सुविधाएँ कहा जाता है।