हिंदी संत काव्य

संत काव्य का दार्शनिक आधार है शंकराचार्य एवं उपनिषदों द्वारा प्रतिपादित अद्वैत दर्शन, नाथ पंथ, सूफी धर्म एवं इस्लाम। उपनिषदों में निरुपित ब्रह्म, जीव, जगत एवं माया के स्वरूप को संत कवियों ने ज्यों का त्यों ग्रहण किया।

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हिंदी साहित्य का काल विभाजन और नामकरण

काल विभाजन और नामकरण

काल विभाजन और नामकरण काल विभाजन के कई आधार हो सकते हैं। जैसे:- कर्ता के आधार पर- प्रसाद युग, भारतेंदु युग, द्विवेदी युग।प्रवृति के आधार पर- भक्तिकाल, संतकाव्य, सूफीकाव्य, रीतिकाल,…

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