हिंदी का प्रथम कवि
राहुल सांकृत्यायन ने 7वीं शताब्दी के कवि सरहपाद को हिंदी का प्रथम कवि माना है.
वे 84 सिध्दों में से एक थे.
डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त ने अपने ग्रन्थ ‘हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास’ में शालिभद्र सूरि को हिंदी का पहला कवि स्वीकार किया है.
उनकी रचना भरतेश्वर बाहुबली रास को वे हिंदी की प्रथम रचना मानते है जिसकी रचना 1184 ई. में हुई थी.
यहाँ इन दोनों कवियों की रचना का एक-एक उदाहरण प्रस्तुत है
जिसके द्वारा यह सिद्ध किया जा सकता है कि ‘सरहपाद’ की भाषा हिंदी के अधिक निकट है,
किन्तु शालिभद्र की भाषा हिंदी जैसी नहीं लगती.
- जहँ मन पवन न संचरइरवि ससि नाह पवेस ׀ तहि वट चित्त विसाम करू सरहे कहिअ उदेस ׀׀ -सरहपाद
- उपनूं ए केवल नाण तउ विरहई रिसहे सिउ ए ׀ आविउ ए भरह नरिन्द सिंह अवधापुरी ए ׀׀ -मुनि शालिभद्र सूरी
स्पष्ट ही ‘ सरहपाद’ की रचना में आए शब्द मन, पवन, रवि, ससि, चित्त हिंदी के शब्द हैं.
सरहपाद ही हिंदी का पहला कवि हैं.