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सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 मोडल पेपर

सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 मोडल पेपर

सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 मोडल पेपर प्रारम्भिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र परीक्षा 2025 की सभी प्रश्नों को हल किया गया है. यह मोडल पेपर आपकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी को परख कर सकते है.

प्रारम्भिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र परीक्षा 2024-25

कक्षा – 8

विषय – सामाजिक विज्ञान

नमूमा प्रश्न पत्र

अवधि – 2:30 घंटे पूर्णांक – 80

Table of Contents

(अ) राजस्थान में मराठा शक्ति को रोकने के लिए

(ब) अंग्रेजी प्रभाव को सीमित करने के लिए

(स) राजपूत राजाओं की एकता कम करने के लिए

(द) उपर्युक्त सभी  (  )

उत्तर : (अ) राजस्थान में मराठा शक्ति को रोकने के लिए

(अ) लार्ड विलियम बैंटिक 

(ब) वारेन हेस्टिंग्स

(स) लार्ड डलहोजी

(द) लार्ड केनिंग  (  )

उत्तर : (ब) वारेन हेस्टिंग्स

(अ) उत्तरप्रदेश

(ब) मध्यप्रदेश

(स) राजस्थान

(द) झारखंड  (  )

उत्तर : (द) झारखंड

(अ) विवादों को निपटाना

(ब) न्यायिक समीक्षा

(स) मौलिक अधिकारों का सरंक्षण

(द) उपर्युक्त सभी (  )

उत्तर : (द) उपर्युक्त सभी

(अ) राष्ट्रपति

(ब) प्रधानमंत्री

(स) राज्यपाल

(द) मुख्यमंत्री  (  )

उत्तर : (ब) प्रधानमंत्री

(अ) सौर ऊर्जा

(ब) पवन ऊर्जा

(स) ज्वारीय ऊर्जा

(द) उपर्युक्त सभी ( )

उत्तर : (द) उपर्युक्त सभी

(अ) पुल

(ब) सड़क

(स) मशीन

(द) प्राकृतिक गैस   (  )

उत्तर : (द) प्राकृतिक गैस

(अ) भील

(ब) मीणा

(स) गरासिया

(द) सहरिया  (  )

उत्तर : (द) सहरिया 

(1) मस्केट        A मुस्लिम समुदाय का एक न्यायविद

(2) मैच लॉक      B किसी व्यक्ति के खिलाफ दुराचरण का आरोप

(3) मुफ्ती         C पैदल सैनिको द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बन्दूक

(4) महाभियोग     D बन्दूक जिसमें बारूद से चिंगारी दी जाती थी।

उत्तर : (1) – C, (2) – D, (3) – A, (4) – B

(1) लोग ही एक राष्ट्र के सबसे बड़े संसाधन होते हैं।  (   )

(2) लोग सामान्य रूप से चरम जलवायु को पसन्द करते हैं।  (   )

(3) खनिज निक्षेपों वाले क्षेत्र अधिक घने बसे हुए हैं।   (   )

(4) औद्योगिक क्षेत्र रोजगार के अवसर नहीं प्रदान करते हैं।  (   )

उत्तर : (1) – हाँ, (2) – ना, (3) – हाँ, (4) – ना

उत्तर : न्यूनतम वेतन कानून में यह निश्चित किया गया है कि किसी का भी वेतन एक निर्धारित न्यूनतम राशि से कम नहीं होना चाहिए।

उत्तर : (1) समानता का अधिकार – महिलाओं को भेदभाव से मुक्त कर समान अवसर प्रदान करना।

(2) समाज की प्रगति – महिलाओं के सशक्तिकरण से आर्थिक और सामाजिक विकास में वृद्धि।

उत्तर : सिपाहियों को बन्दूक में कारतूस लगाने के लिए उसके ऊपर लगी एक पट्टी को दाँत से काटना पड़ता था। ऐसी खबर थी कि उस पट्टी को बनाने में गाय एवं सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। ऐसी चीजों के उपयोग से हिन्दू एवं मुसलमान सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती थी। अतः उन्हें कारतूसों पर ऐतराज था।

उत्तर : भीलवाड़ा को राजस्थान की वस्र नगरी कहा जाता है क्योंकि वर्तमान में भीलवाड़ा राजस्थान का प्रमुख वस्र उत्पादक क्षेत्र है। इसलिए इसे राजस्थान का “मेनचेस्टर” भी कहा जाता है।

उत्तर : ईस्ट इंडिया कम्पनी भारतीय किसानों पर नील की खेती करने का दबाव डालती थी क्योंकि नील का व्यापार उनके लिए अत्यधिक लाभदायक था। इसके निम्नलिखित कारण थे –

1. यूरोप में नील की बढ़ती माँग – औद्योगिक क्रांति के दौरान यूरोप में कपड़ा उद्योग तेजी से बढ़ रहा था।कपड़ों को रंगने के लिए प्राकृतिक नील की अत्यधिक माँग थी। यूरोपीय बाजार में भारतीय नील की गुणवत्ता उच्च मानी जाती थी और इसे काफी ऊँचे दामों पर बेचा जाता था।

2. भारत की उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु ने नील की खेती को सस्ता और सुविधाजनक बना दिया, जिससे ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाला।

3. कम्पनी का एकाधिकार और लाभ – ईस्ट इंडिया कम्पनी भारतीय नील के व्यापार पर एकाधिकार करना चाहती थी ताकि वे इसे अन्तरराष्ट्रीय बाजार में ऊँचे दामों पर बेच सकें और अत्यधिक मुनाफा कमा सकें।

उत्तर : निर्वाह कृषि का तात्पर्य एक कृषक द्वारा अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई खेती से है। निर्वाह कृषि को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –

(i) गहन निर्वाह कृषि – इस प्रकार की कृषि में एक छोटे भूखण्ड पर साधारण औजार तथा अधिक श्रम के साथ कृषक खेती करते है तथा एक वर्ष में एक से अधिक फसलें उगाते है। गहन निर्वाह कृषि दक्षिणी, दक्षिण-पूर्वी और पूर्वी एशिया के सघन जनसंख्या वाले मानसूनी प्रदेशों में प्रचलित है।

(ii) आदिम निर्वाह कृषि – आदिम निर्वाह कृषि में स्थानान्तरी कृषि और चलवासी पशुचारण शामिल है।

(क) स्थानान्तरी कृषि – इस कृषि में लोग वृक्षों को काटकर जलाकर भूखण्ड साफ करते हैं तथा राख को मृदा में मिलाकर उस पर खेती करते हैं तथा मृदा का उपजाऊपन ख़त्म होने पर किसान उस भूमि को छोड़कर अन्य भूखण्ड पर खेती करने लगते हैं।

(ख) चलवासी पशुचारण – चलवासी पशुचारण में पशुचारक अपने पशुओं के साथ चारे और पानी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर निश्चित मार्गों में घूमते हैं।

उत्तर : उद्योग शब्द का तात्पर्य उन समस्त आर्थिक गतिविधियों से है जो कि वस्तुओं के उत्पादन, खनिजों के निष्कर्षण अथवा सेवाओं की व्यवस्था से संबंधित हैं।

कच्चा माल आधारित उद्योगों को चार भागों में विभाजित किया जाता है –

(1) कृषि आधारित उद्योग – ये उद्योग कच्चे माल के रूप में वनस्पति और जन्तु आधारित उत्पादों का उपयोग करते हैं।

(2) खनिज आधारित उद्योग – ये उद्योग कच्चे माल के रूप में खनिज अयस्कों का उपयोग करते हैं।

(3) समुद्र आधारित उद्योग – ये उद्योग सागरों और महासागरों से प्राप्त उत्पादों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं।

(4) वन आधारित उद्योग – ये उद्योग वनों से प्राप्त उत्पाद का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं।

उत्तर : 1850 के दशक में सरकार द्वारा संचालित पाठशालाओं पर एक गरीब परिवार के बच्चे के रूप में मेरी राय निम्न प्रकार होगी –

(1) पहले की व्यवस्था में गरीब किसान परिवारों के बच्चे पाठशाला जा सकते थे क्योंकि कक्षा की समय-सारणी में थोड़ी-बहुत ढील थी।

(2) पहले की व्यवस्था में गरीब बच्चों से कम फीस ली जाती थी तथा अधिक आय वालों से अधिक। नई व्यवस्था में सभी की फीस समान होने से गरीब बच्चों को स्कूल फीस चुकाने में दिक्कत होगी।

उत्तर : प्राथमिक शालाओं में प्रवेश लेने के बाद बच्चों के विद्यालय छोड़ने के दो कारण निम्नलिखित है –

(1) आर्थिक समस्याएँ – कई बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, जिससे वे बच्चों को स्कूल में भेजने के बजाय मजदूरी या घरेलू काम में लगाने को मजबूर हो जाते हैं।

(2) सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ – विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान दिया जाता है। उन्हें घरेलू कामकाज या छोटी उम्र में विवाह के कारण स्कूल छोड़ना पड़ता है।

क्र.सं. राज्य सरकारकेन्द्र सरकार
1.कौनसे राजनीतिक दल अभी सत्ता में हैं?  
2.आपके क्षेत्र में निर्वाचित प्रतिनिधि  
3.अभी कौनसा राजनीतिक दल विपक्ष में है?  
4.अगले चुनाव कब होंगे?  

उत्तर :

क्र.सं. राज्य सरकारकेन्द्र सरकार
1.कौनसे राजनीतिक दल अभी सत्ता में हैं?भारतीय जनता पार्टीभारतीय जनता पार्टी (राजग गठबंधन)
2.आपके क्षेत्र में निर्वाचित प्रतिनिधिहरेन्द्र मिर्धा (यह आपके लिए अलग हो सकता है.)हनुमान बेनीवाल (यह आपके लिए अलग हो सकता है.)
3.अभी कौनसा राजनीतिक दल विपक्ष में है?भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (गठबंधन)
4.अगले चुनाव कब होंगे?2028 में2029 में

उत्तर : (1) समानता का अधिकार – समानता के अधिकार से आशय है की कानून की नजर में सभी लोग समान हैं अर्थात् सभी लोगों को देश का कानून बराबर सुरक्षा प्रदान करेगा।

(2) स्वतंत्रता का अधिकार – इस अधिकार के अंतर्गत अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता, सभा या संगठन बनाने की स्वतंत्रता, देश के किसी भाग में आने-जाने और रहने तथा कोई भी व्यवसाय, पेशा या कारोबार करने का अधिकार शामिल है।

उत्तर : हाशियाई समुदाय की पहचान प्रदर्शित करने वाले दो क्षेत्रों का वर्णन निम्नानुसार हैं –

1. शिक्षा का क्षेत्र – हाशियाई समुदायों के बच्चों को समान शिक्षा के अवसर नहीं मिलते। इन समुदायों में स्कूल छोड़ने की दर अधिक होती है, खासकर लड़कियों की।

2. आर्थिक और रोजगार का क्षेत्र – हाशियाई समुदायों की पहचान उनके खराब आर्थिक स्थिति से जुड़ी होती है। उनके पास भूमि, पूँजी और अन्य आर्थिक संसाधनों का अभाव होता है, जिससे वे निम्न आर्थिक स्तर पर बने रहते हैं।

(अ) बाड़मेर    (ब) भरतपुर   (स) पाली     (द) बांसवाड़ा

उत्तर :

कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान मोडल पेपर 2025

उत्तर : 1857 की क्रांति भारत के स्वतंत्रता संग्राम का पहला बड़ा प्रयास थी। इसे ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है। इस क्रांति का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन यह पूरी तरह से सफल नहीं हो सकी। इसके बावजूद, इसकी सफलता और असफलता दोनों ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। आइए इस पर विचार करें –

1857 की क्रांति की सफलता :

1. राष्ट्रीय चेतना का उदय – यह पहला प्रयास था जब भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों- जमींदार, किसान, सैनिक और शासक ने मिलकर विदेशी शासन के खिलाफ आवाज उठाई। इससे राष्ट्रीय एकता और सामूहिक चेतना का बीजारोपण हुआ।

2. अंग्रेजों को चुनौती – अंग्रेजी शासन को इस क्रांति ने यह संदेश दिया कि भारतीय लोग अब उनके अत्याचारों को सहन करने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे ब्रिटिश प्रशासन के अंदर भी डर पैदा हुआ।

3. स्वतंत्रता संग्राम की नींव – यह क्रांति भविष्य में होने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों का आधार बनी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में राजनीतिक और सामाजिक सुधार की मांग तेज हुई।

1857 की क्रांति की असफलता :

1. संगठन और नेतृत्व की कमी – संगठन और नेतृत्व नहीं था। यह अलग-अलग क्षेत्रों में असंगठित तरीके से संचालित हुई। नाना साहब, झाँसी की रानी, तात्या टोपे और अन्य नेताओं के प्रयास सराहनीय थे, लेकिन उनमें आपसी तालमेल की कमी थी।

2. सीमित भौगोलिक प्रभाव – यह क्रांति मुख्यतः उत्तर भारत, विशेषकर मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झाँसी और अवध तक ही सीमित रही। दक्षिण भारत, बंगाल और पंजाब में इसका प्रभाव सीमित था।

3. आधुनिक हथियारों और संसाधनों की कमी – भारतीय सेनाओं के पास ब्रिटिश सेना के मुकाबले आधुनिक हथियार और संगठनात्मक ढाँचा नहीं था। इससे वे प्रभावी प्रतिरोध नहीं कर सकें।

4. स्थानीय समर्थन का अभाव – कई भारतीय रियासतों और शासकों ने ब्रिटिश शासन का समर्थन किया, जैसे हैदराबाद के निजाम और पंजाब के सिख शासक। इससे क्रांति कमजोर हुई।

5. स्पष्ट लक्ष्य की अनुपस्थिति – क्रांति के लिए कोई स्पष्ट और समन्वित उद्देश्य निर्धारित नहीं किया गया था। अलग-अलग समूहों के अपने-अपने लक्ष्य थे, जिससे क्रांति कमजोर हुई।

निष्कर्ष – 1857 की क्रांति पूरी तरह सफल नहीं हुई, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण अध्याय थी। इसने भारतीय जनता में स्वतंत्रता की लौ जलाई और ब्रिटिश शासन को यह चेतावनी दी कि भारत में लंबे समय तक शासन करना अब आसान नहीं होगा।

उत्तर : भारत की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत स्पष्ट किया जा सकता है –

1. रॉलट सत्याग्रह – 1919 में गाँधीजी ने अंग्रेजों द्वारा हाल ही में पारित किए गए रॉलट कानून के खिलाफ सत्याग्रह का आह्वान किया। यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने और पुलिस को और ज्यादा अधिकार देने के लिए लागू किया गया था। गाँधीजी ने लोगों से आह्वान किया कि इस कानून का विरोध करने के लिए 6 अप्रैल, 1919 को अहिंसक विरोध दिवस के रूप में, ‘अपमान व याचना’ दिवस के रूप में मनाया जाए और हड़ताले की जाएँ। फलस्वरूप अप्रैल, 1919 में पुरे देश में जगह-जगह जुलूस निकले गए तथा हड़तालें की गई। सरकार ने इसके विरोध में दमन चक्र चलाया और इसी के तहत 13 अप्रैल को ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ घटित हुआ।

2. खिलाफत आंदोलन और असयोग आंदोलन – 1920 में अंग्रेजों द्वारा तुर्की के सुल्तान के अपमान से भारतीय मुसलमान अंग्रेजी सरकार के खिलाफ थे और जलियांवाला बाग़ हत्याकांड से भारतीय नेता व्यथित थे। गाँधीजी ने मुसलमानों के खिलाफत आंदोलन का समर्थन करते हुए असहयोग आंदोलन चलाया। 1921-22 के दौरान यह आंदोलन व्यापक हो गया। विद्यार्थी, वकील, शिक्षक आदि इसमें शामिल हुए और ब्रिटिश शासन व विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया। लेकिन 1922 में चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद इस आंदोलन को गाँधीजी ने वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसक आंदोलन के विरुद्ध थे।

सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 मोडल पेपर

3. सविनय अवज्ञा आंदोलन और दांडी मार्च – असहयोग आंदोलन के समाप्त होने के बाद गाँधीजी ने गाँवों में व्यापक सामाजिक कार्य किया। इससे काँग्रेस का जनाधार व्यापक हो गया। 1930 में गाँधीजी ने पूर्ण स्वराज के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन किया और 240 किमी, की पैदल यात्रा कर दांडी में नमक कानून को तोड़ा। इस आंदोलन में किसानों, आदिवासियों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। इसके परिणामस्वरूप 1935 का गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया एक्ट पारित किया गया।

4. भारत छोड़ो आंदोलन – 1942 में गाँधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू करते हुए भारतीय जनता को “करो या मरो” का आह्वान किया। अंग्रेजी दमन चक्र के चलते हुए ही यह आंदोलन फैसला गया। यह एक व्यापक जन आंदोलन में परिणत हो गया। अंततः इस आंदोलन ने ब्रिटिश राज को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

उत्तर : 1919 में गाँधीजी ने अंग्रेजों द्वारा हाल ही में पारित किए गए रॉलट कानून के खिलाफ सत्याग्रह का आह्वान किया। यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने और पुलिस को और ज्यादा अधिकार देने के लिए लागू किया गया था। गाँधीजी ने लोगों से इस कानून का अहिंसक विरोध करने तथा हड़तालें करने का आह्वान किया। फलस्वरूप अप्रैल, 1919 में पुरे देश में जगह-जगह जुलूस निकले गए तथा हड़तालें की गई। सरकार ने इसके विरोध में दमन चक्र चलाया और इसी के तहत 13 अप्रैल को ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ घटित हुआ।

उत्तर : (i) जैव मण्डल – पृथ्वी का वह मण्डल जिसमें पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु पाए जाते है, जैव मण्डल कहलाता है। जैव मण्डल पृथ्वी का वह क्षेत्र है जहाँ स्थल, जल और वायु मिलकर जीवन को सम्भव बनाते हैं।

(ii) परितंत्र – परितंत्र से आशय उस तंत्र से है जिसमें सभी पेड़-पौधे,

जीव-जन्तु एवं मानव अपने आस-पास के पर्यावरण पर एवं एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं।

जीवधारियों के इस आपसी और अपने आस-पास के पर्यावरण के बीच के सम्बन्ध को ही परितंत्र कहते हैं।

उत्तर : भूस्खलन – सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहत संचलन को भूस्खलन कहते हैं।

भूस्खलन का कारण – यह भूकम्प, बाढ़, ज्वालामुखी तथा लम्बे समय तक भारी वर्षा होने के कारण होता है।

भूस्खलन रोकने के उपाय –

(1) भूस्खलन वाले स्थानों पर आवास निर्माण नहीं किया जाना चाहिए।

(2) भूमि को खिसकने से बचाने के लिए प्रतिधारी दीवार का निर्माण करना।

(3) भूस्खलन वाले क्षेत्रों में वनस्पति आवरण में वृद्धि करना।

(4) सतही अपवाह तथा झरना प्रवाहों के साथ-साथ भूस्खलन की गतिशीलता को नियन्त्रित करने के लिए पृष्ठीय अपवाह नियन्त्रण उपाय कार्यान्वित किए जाने चाहिए।

उत्तर : संविधान नियमों का एक ऐसा समूह होगा है जिसको एक देश के सभी लोग अपने देश को चलाने की पद्धति के रूप में अपना सकते हैं। इसके जरिए वे न केवल यह तय करते हैं की सरकार किस तरह की होगी बल्कि उन आदर्शों पर भी एक साझी समझ विकसित करते हैं जिनकी हमेशा पूरे देश में रक्षा की जानी चाहिए।

संविधान की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं –

1. आदर्शों को सूत्रबद्ध करने के लिए – संविधान उन आदर्शों को सूत्रबद्ध करता है जिनके आधार पर नागरिक अपने देश को अपनी इच्छा और सपनों के अनुसार रच सकते हैं। यह नियमों का एक ऐसा समूह होता है जिसको एक देश के सभी लोग अपने देश को चलाने की पद्धति के रूप में अपना सकते हैं।

2. संविधान द्वारा ही यह तय किया जाता है कि उस देश की राजनीतिक व्यवस्था कैसी होगी।

3. सत्ता के दुरूपयोग को रोकने के लिए – लोकतांत्रिक समाजों में प्रायः संविधान ही ऐसे नियम तय करता है जिनके द्वारा राजनेताओं के हाथों सत्ता के दुरूपयोग को रोका जा सकता है।

4. बहुमत की निरंकुशता पर प्रतिबंध लगाने के लिए – लोकतान्त्रिक समाजों में भी बहुमत की निरंकुशता का खतरा बना रहता है। अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकों की इस निरंकुशता पर प्रतिबंध लगाना भी संविधान का महत्वपूर्ण कार्य है।

5. व्यापक हित के सिद्धांतों की रक्षा के लिए – लोकतान्त्रिक समाजों में कई बार हम किसी मुद्दे पर बहुत तीखे ढंग से सोचने लगते हैं। ऐसे विचार हमारे व्यापक हितों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।

इस प्रकार संविधान हमें ऐसे फैसले लेने से रोकता है जिनसे उन बड़े सिद्धान्तों को ठेस पहुँच सकती है जिनमें देश आस्था रखता है।

उत्तर : धर्म निरपेक्षता – का अर्थ है राज्य को धर्म से अलग रखना,

जहाँ सरकार किसी धर्म विशेष को न तो बढ़ावा देती है और न ही उसके खिलाफ कोई भेदभाव करती है।

यह अवधारणा समाज में धार्मिक सहिष्णुता,समानता और स्वतंत्रता को बनाए रखने का आधार है।

वर्तमान में धर्म निरपेक्षता की प्रासंगिकता –

1. धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखना – भारत में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों का सह-अस्तित्व है। धर्म निरपेक्षता यह सुनिश्चित करती है कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाए और किसी भी धर्म के अनुयायियों को भेदभाव का सामना न करना पड़े।

2. समान नागरिक अधिकार – धर्म निरपेक्षता सभी नागरिकों को धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव से मुक्त समान अधिकार प्रदान करती है। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को बनाए रखती है।

3. वैश्वीकरण के दौर में सामाजिक समरसता – वैश्वीकरण और अन्तरराष्ट्रीय संबंधों के युग में, धर्म निरपेक्षता न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सहिष्णुता और सहयोग को प्रोत्साहित करती है।

4. विविधता का सम्मान – भारत जैसे देश में, जहाँ हर क्षेत्र, भाषा और संस्कृति के साथ धार्मिक विविधता भी है, धर्म निरपेक्षता इस विविधता को एकता में बदलने का एक स्थान है।

धर्म निरपेक्षता की अवधारणा भारतीय लोकतंत्र की नींव का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

यह केवल एक संवैधानिक प्रावधान नहीं है,

बल्कि समाज में शांति,समरसता और प्रगति को बढ़ावा देने का माध्यम है।

उत्तर : राजस्थान में प्रमुख भौगोलिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं –

(1) जैसलमेर में मनमोहक रेतीले टीले,

(2) उदयपुर में जयसमंद, फतेहसागर, पिछोला, उदयसागर, स्वरुपसागर आदि झीलें एवं शिल्पग्राम,

(3) सिरोही का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल माउंट आबू एवं नक्की झील,

(4) अजमेर की पुष्कर झील,

(5) राजसमंद स्थित राजसमंद झील,

(6) चितौड़गढ़ में चुलिया एवं मेनाल जल प्रताप,

(7) सवाई माधोपुर का रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान,

(8) अलवर का सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान,

(9) भरतपुर का केवलादेव घना राष्ट्रीय पक्षी विहार,

(10) जैसलमेर व बाड़मेर में स्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान,

(11) कोटा में चम्बल नदी के किनारे घड़ियाल तथा मगरमच्छों के सरंक्षण के लिए चम्बल अभयारण्य प्रमुख हैं।

उत्तर : सड़क सुरक्षा के नियम निम्नानुसार हैं –

(1) वाहन चलाने के लिए वैध ड्राइविंग लाइसेंस व वाहन के साथ RC,

बीमा कागजात व प्रदुषण नियंत्रण प्रमाण पत्र पास में होने चाहिए।

(2) सड़क पर निर्धारित गति सीमा का पालन करना चाहिए।

(3) दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें व कार चलाते समय सीट बेल्ट पहनना।

(4) सड़क पर लगे संकेतों और चिह्नों का ध्यान रखना।

(5) वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना चाहिए।

(6) नशे की हालत में ड्राइविंग नहीं करना चाहिए।

उत्तर : सामुदायिक स्वच्छता को बनाए रखने और सुधारने में विद्यार्थियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी है।

उनकी सक्रिय भागीदारी समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

विद्यार्थियों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिकाएँ निम्नानुसार हो सकती है –

1. स्वच्छता का अभ्यास अपने घर, स्कूल और आस-पास के वातावरण में करते हुए कचरा हमेशा डस्टबिन में डाले और इसे गीले और सूखे कचरे में अलग करें।

2. सामुदायिक स्वच्छता के महत्त्व को समझाते के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर स्वच्छता के लिए लोगों को प्रेरित करें।

3. सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, सडकों और मंदिरों की सफाई में मदद करें।

4. प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने और पुनः उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाएँ।

सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 मोडल पेपर 2025 FAQ’s

प्रश्न : क्या इस मोडल पेपर के अनुसार ही बोर्ड परीक्षा में प्रश्न आएँगे?

उत्तर : हाँ, पेपर के प्रश्नों का पेटर्न व अंकभार यही रहेगा, प्रश्न इनके अलावा भी आ सकते है.

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