लोदी वंश (Lodi Vansh)
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बहलोल लोदी (1451-1489 ई.) –
बहलोल लोदी ने दिल्ली (सल्तनत काल) में लोदी वंश (Lodi Vansh) की स्थापना की। मध्यकालीन भारत में प्रथम अफगान राज्य की स्थापना लोदियों ने ही की।वह बहलोल शाह गाजी के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
वह अफगानों की एक महत्वपूर्ण शाखा शाहूखेल से संबंधित था। उसकी महत्वपूर्ण सफलता जौनपुर राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिलाना था। बहलोल लोदी ने बहलोली सिक्के चलवाए जो अकबर के पहले तक उत्तर भारत में विनिमय का मुख्य साधन बना रहा।
बहलोल लोदी अमीरों को मसनद-ए-अली पुकारता था। उसका अंतिम आक्रमण ग्वालियर पर हुआ। ग्वालियर से वापस आते समय जलाली के निकट जुलाई, 1489 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.)
बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र निजाम खां, सुलतान सिकन्दर शाह के नाम से 17 जुलाई, 1489 ई. को दिल्ली का शासक बना। उसने आगरा का नवीन नगर बसाया, जहाँ पर बादलगढ़ किले का निर्माण कराया।
1506 ई. में आगरा, सिकन्दर लोदी की राजधानी बनी। सिकन्दर लोदी गुलरूखी के उपनाम से फारसी कविताएँ लिखता था। उसके समय में गायन विद्या के एक श्रेष्ठ ग्रंथ लज्जत-ए-सिकन्दरशाही की रचना हुई।
उसने एक आयुर्वेदिक ग्रन्थ का फारसी में अनुवाद कराया, जिसका नाम फरंहगे सिकन्दरी रखा गया। उसने नाप के लिए पैमाना गज-ए-सिकन्दरी प्रारंभ किया, जो 30 इंच का होता था।
सिकन्दर लोदी ने अनाज पर जकात लेना बंद करवाया।
उसने ब्राह्मणों से जजिया कर लेना पुनः शुरू किया।
उसने नगर कोट के ज्वालामुखी की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को माँस तौलने के लिए कसाइयों को दे दिया।
सिकन्दर लोदी ने मुहर्रम पर ताजिये निकालना भी बंद कर दिया था और
मुस्लिम स्त्रियों को पीरों और संतों की मजारों पर जाने से रोक दिया।
सिकन्दर लोदी की मृत्यु 21 नवम्बर, 1517 ई. को आगरा में हुई।
इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.) –
यह सिकन्दर लोदी का पुत्र था, जो लोदी वंश (Lodi Vansh) का अंतिम शासक था।
प्रमुख अफगान सरदार दौलत खां (पंजाब का सूबेदार) और
इब्राहिम लोदी का चाचा आलम खां इब्राहिम की सत्ता को समाप्त करने के उद्देश्य से काबुल के शासक
बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित करता है।
12 अप्रैल, 1526 ई. को बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ,
जिसमें इब्राहिम की पराजय हुई और वह युद्ध स्थल पर मारा गया।
इब्राहिम लोदी की मृत्यु से लोदी वंश (Lodi Vansh) एवं दिल्ली सल्तनत समाप्त हुआ और
भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना हुई।