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अध्याय 1 हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

अध्याय 1 हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल | कक्षा 7 | हमारे अतीत – 2

अध्याय 1 हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल | कक्षा 7 | हमारे अतीत – 2 | इतिहास | NCERT BOOK Solution

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उत्तर : अतीत में किसी गाँव में आने वाला कोई भी अनजाना व्यक्ति, जो उस समाज या संस्कृति का अंग न हो, विदेशी कहलाता था। (ऐसे व्यक्ति को हिंदी में परदेशी और फारसी में अजनबी कहा जा सकता है।) इसलिए किसी नगरवासी के लिए वनवासी ‘विदेशी’ होता था किन्तु एक ही गाँव में रहने वाले दो किसान अलग-अलग धार्मिक या जाति परम्पराओं से जुड़े होने पर भी एक-दूसरे के लिए विदेशी नहीं होते थे।

उत्तर : (क) गलत  (ख) सही  (ग) सही  (घ) गलत।

उत्तर : (क) पांडुलिपियाँ, दस्तावेज  (ख) जियाउद्दीन बरनी  (ग) आलू, मक्का, मिर्च, चाय, कॉफी।

उत्तर : इस काल में हुए कुछ प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों की तालिका –

(1) सिंचाई में रहट का प्रयोग।

(2) कताई में चर्खे का प्रयोग।

(3) युद्ध में बारूदी हथियारों का प्रयोग।

उत्तर : इस काल के दौरान हुए कुछ मुख्य धार्मिक परिवर्तन –

(अ) हिन्दू धर्म में हुए परिवर्तन –

(1) नए देवी-देवताओं की पूजा,

(2) राजाओं द्वारा मंदिरों का निर्माण,

(3) समाज में पुरोहितों के रूप में ब्राह्मणों का बढ़ता महत्त्व तथा बढ़ती उनकी सत्ता। नए-नए शासक इनके संरक्षक बने।

(4) भक्ति की अवधारणा का उदय।

(ब) नए धर्मों का आगमन।

उत्तर : विगत कई शताब्दियों में ‘हिंदुस्तान शब्द के अर्थ में अनेक परिवर्तन हुए हैं। यथा –

(1) 13वीं सदी में फारसी के इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग राजनीतिक अर्थ में उन इलाकों के लिए इस्तेमाल किया था जो दिल्ली के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में आते थे। इस प्रकार हिंदुस्तान से उसका आशय पंजाब, हरियाणा और गंगा-यमुना के बीच में स्थित इलाकों से था।

(2) 14वीं सदी में कवि अमीर खुसरो ने ‘हिन्द शब्द का प्रयोग भौगोलिक एवं सांस्कृतिक सत्व के रूप में किया।

(3) 16वीं सदी के आरंभ में बाबर खुसरो ने ‘हिन्द शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्वीप के भूगोल, पशु-पक्षियों और यहाँ के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया था।

(4) इस प्रकार हिंदुस्तान शब्द से वे राजनीतिक और राष्ट्रीय अर्थ नहीं जुड़े थे जो आज हम जोड़ते हैं।

(5) आज हम ‘हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग आधुनिक राष्ट्र राज्य ‘भारत के अर्थ में लेते हैं।

उत्तर : जातियों के मामले निम्न प्रकार नियंत्रित किए जाते थे –

(1) अपने सदस्यों के व्यवहार का नियंत्रण करने के लिए जातियाँ स्वयं अपने-अपने नियम बनाती थीं।

(2) इन नियमों का पालन जाति के बड़े-बुजुर्गों की एक सभा करवाती थी जिसे कुछ इलाकों में जाति-पंचायत कहा जाता था।

(3) जातियों को अपने निवास के गाँवों के रिवाजों का पालन भी करना पड़ता था।

उत्तर : ‘सर्वक्षेत्रिय साम्राज्य से आशय है – एक साम्राज्य जो अनेक क्षेत्रों में फैला हुआ हो और जो अनेक क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बना हो।

आइये विचार करें –

उत्तर : पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के समक्ष निम्न प्रमुख समस्याएँ आती हैं –

(1) मूल पांडुलिपि की लिखावट को समझने में समस्या हो सकती है।

(2) मध्य काल में लिपिक या नकलनवीस हाथ से ही पांडुलिपियों की प्रतिलिपि बनाते थे। प्रतिलिपियाँ बनाते हुए लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे। अंततः एक ही मूल ग्रंथ की भिन्न-भिन्न प्रतिलिपियाँ एक-दूसरे से बहुत ही अलग हो गई। इससे बड़ी गंभीर समस्या पैदा हो गई, क्योंकि मूल पांडुलिपि प्रायः उपलब्ध नहीं होती है।

इसलिए इस बात का अंदाज लगाने के लिए कि मूलतः लेखक ने क्या लिखा था, इतिहासकारों को एक ही ग्रंथ की विभिन्न प्रतिलिपियों का अध्ययन करना पड़ता है।

(3) कई बार लेखक स्वयं भी समय-समय पर अपने मूल वृत्तांत में संशोधन करते रहते थे।

उत्तर : अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत को कालों या युगों में विभाजित करते हैं। इनके आधार पर इतिहासकार अकसर इतिहास को तीन काल खंडों में विभाजित करते हैं – प्राचीनकालीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास।

लेकिन इतिहास का एक कालखण्ड भी अनेक बदलावों से भरा होता है। आखिर 16वीं और 18वीं सदी या 11वीं सदी से काफी भिन्न थी। फिर ‘मध्यकाल की तुलना प्रायः ‘आधुनिक काल से की जाती है। आधुनिकता के साथ भौतिक उन्नति और बौद्धिक प्रगति का भाव जुड़ा हुआ है। इससे आशय यह निकलता है कि मध्य काल रूढ़िवादी था और उस दौरान कोई परिवर्तन हुआ ही नहीं। लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा नहीं था। इन हजार वर्षो में इस उपमहाद्वीप के समाजों में प्रायः परिवर्तन आते रहे हैं।

प्रश्न : कागज कब अधिक महँगा था और कब आसानी से उपलब्ध था – 13वीं शताब्दी में या 14वीं शताब्दी में?

उत्तर : 13वीं शताब्दी में कागज़ अधिक महँगा था, परन्तु 14वीं शताब्दी में कागज कम महँगा था तथा आसानी से उपलब्ध था.

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